
फरीदाबाद/नई दिल्ली: दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट के बाद फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी (Al Falah University) चर्चा में आ गई है। यूनिवर्सिटी से जुड़े मेडिकल कॉलेज के दो डॉक्टरों पर विस्फोटक रखने और फिदायीन बनने का शक है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां यूनिवर्सिटी और संबंधित डॉक्टरों पर निगरानी बढ़ा चुकी हैं।
वेबसाइट हैक का वाकया
हाल ही में यूनिवर्सिटी की आधिकारिक वेबसाइट हैक कर ली गई। हैकर्स ने वेबसाइट पर लिखा:
“भारत की धरती पर इस तरह की इस्लामिक यूनिवर्सिटी की कोई जगह नहीं है। अगर भारत में रहना है तो शांति से रहना होगा, नहीं तो इस्लामिक जिहाद करने वालों को भारत छोड़कर पाकिस्तान चले जाना चाहिए। इसे चेतावनी समझें, हम आपकी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं। इसे बंद करो, वर्ना हम तुम्हें बर्बाद कर देंगे।”
कुछ देर बाद वेबसाइट बहाल कर दी गई।
यूनिवर्सिटी और डॉक्टरों की भूमिका
- अल-फलाह यूनिवर्सिटी का कैंपस 70 एकड़ में फैला है और इसका प्रबंधन अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट करता है।
- फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल की जांच के तहत पुलिस ने डॉ. मुजम्मिल शकील सहित यूनिवर्सिटी के अन्य फैकल्टी मेंबर्स और छात्रों से पूछताछ की।
- जांच में सामने आया है कि लाल किले ब्लास्ट में जैश-ए-मोहम्मद का हाथ हो सकता है।
- डॉ. मुजम्मिल के कमरे से बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ।
केंद्र सरकार और एनआईए की जांच
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मामले की त्वरित और सटीक जांच का निर्देश दिया। इस मामले की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपी गई है। NIA टीम ब्लास्ट और अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े तारों की जांच कर रही है।
वर्तमान स्थिति
- यूनिवर्सिटी प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां लगातार घटनास्थल और यूनिवर्सिटी परिसर में निगरानी कर रही हैं।
- आम नागरिकों से अपील की गई है कि वे अफवाहों से बचें और केवल आधिकारिक जानकारी पर भरोसा करें।
निष्कर्ष: दिल्ली ब्लास्ट के तार फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उसके डॉक्टरों से जुड़े पाए जा रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियां लगातार मामले की जांच कर रही हैं, और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से पूरे घटनाक्रम पर नजर रखी जा रही है।