
नई दिल्ली: स्वाद अगर दिल से बनाया जाए तो उसके चाहने वाले दुनियाभर में मिल जाते हैं। गुवाहाटी के 23 वर्षीय तिलक पंडित ने इसी सोच के साथ बिहार के खास ठेकुआ को अपने स्टार्टअप ‘देसी टेसी’ के जरिए घर-घर पहुंचा दिया।
तिलक ने 2023 में अपनी रसोई से ठेकुआ बनाना शुरू किया। उनके पास न तो कोई बिजनेस डिग्री थी और न ही फंडिंग, लेकिन उनके मन में एक ही ख्याल था – क्या बिहार के स्वाद को हर घर तक पहुंचाया जा सकता है?
कॉलेज के एक फेस्ट में तिलक ने अपनी मां द्वारा बनाए ठेकुआ का स्टॉल लगाया। वहां जो हुआ उसने उन्हें हैरान कर दिया – सारा स्टॉक तुरंत बिक गया और लोग बार-बार ऑर्डर मांगने लगे। यही मौका था जिसने उन्हें इसे व्यवसाय में बदलने की हिम्मत दी।
तिलक ने अपनी मां चांद ज्योति देवी के साथ मिलकर ‘देसी टेसी’ लॉन्च किया। शुरुआत में न फैक्ट्री थी, न पैसा, बस परंपरा और जुनून का भरोसा।
सोशल मीडिया की ताकत:
तिलक ने ब्रांड की पहुंच बढ़ाने के लिए इंस्टाग्राम मार्केटिंग का सहारा लिया। धीरे-धीरे उनके ऑर्डर असम, दिल्ली, महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों तक पहुँचने लगे।
कमाई और रोजगार:
‘देसी टेसी’ में ठेकुआ पूरी तरह हाथ से बनता है, जिसमें कोई प्रिजर्वेटिव नहीं है। एक साल के भीतर इस स्टार्टअप का टर्नओवर 12 लाख रुपये से अधिक हो गया। ठेकुआ अब अमेज़न और ब्रांड की वेबसाइट के जरिए बिकता है। साथ ही, ‘देसी टेसी’ स्थानीय महिलाओं को रोजगार और प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बना रहा है।
तिलक की कहानी साबित करती है कि जुनून और मेहनत के साथ अगर परंपरा को आधुनिक मार्केटिंग से जोड़ा जाए, तो घर से भी बड़ा कारोबार खड़ा किया जा सकता है।