
पटना। बिहार कैडर के चर्चित आईएएस अधिकारी संजीव हंस एक बार फिर प्रशासनिक सेवा में लौट आए हैं। गैंगरेप जैसे गंभीर आरोपों और आय से अधिक संपत्ति के मामले में करीब 10 महीने तक जेल में रहने के बाद राज्य सरकार ने उनका निलंबन समाप्त कर दिया है। सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार, संजीव हंस को राजस्व परिषद का अपर सदस्य नियुक्त किया गया है।
विवादों से रहा है गहरा नाता
1997 बैच के आईएएस अधिकारी संजीव हंस लंबे समय से विवादों में रहे हैं। एक महिला द्वारा लगाए गए गैंगरेप के आरोपों ने राज्य की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी थी। इसके अलावा ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव रहते हुए उन पर आय से अधिक संपत्ति और प्रीपेड स्मार्ट मीटर टेंडर में भारी वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले की जांच के बाद अक्टूबर 2024 में उन्हें गिरफ्तार किया था। जांच एजेंसी ने करीब 100 करोड़ रुपये के कथित घोटाले का दावा करते हुए लगभग 20 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी, जिसके बाद उन्हें पटना की बेऊर जेल भेजा गया।
हाई कोर्ट से सशर्त राहत
लगभग 10 महीने न्यायिक हिरासत में रहने के बाद अक्टूबर 2025 में पटना हाई कोर्ट ने संजीव हंस को सशर्त जमानत दी। अदालत ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों में कुछ तकनीकी खामियों का उल्लेख करते हुए उन्हें राहत दी, हालांकि देश से बाहर जाने पर प्रतिबंध बरकरार रखा गया। जमानत के बाद से ही उनके निलंबन समाप्त किए जाने की अटकलें तेज हो गई थीं।
इंजीनियरिंग से IAS तक का सफर
19 अक्टूबर 1973 को पंजाब में जन्मे संजीव हंस ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की। वर्ष 1998 में बिहार कैडर में शामिल होने के बाद वे कई जिलों में जिलाधिकारी रहे और ऊर्जा विभाग में एमडी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी कार्य किया।
अब उन्हें राजस्व परिषद में जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो राज्य में भूमि, राजस्व और नीतिगत मामलों की एक अहम संस्था मानी जाती है। सरकार के इस फैसले को लेकर प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में नई बहस छिड़ गई है।