“मेरा परिवार मुझे वीर योद्धा की तरह विदा कर रहा है” – मुमुक्षु ललित भंसाली

 

संयम भाव मूलतः दुःख के अनुभव से ही आता है – धर्मेंद्र मुनि

पेटलावद, 18 अप्रैल 2025 (एस.डी. न्यूज़ एजेंसी):
“संसार को पकड़कर रखना पागलपन है, और उसे स्वयं समझकर छोड़ देना समझदारी है।” – यही जीवन का गूढ़ तत्व आज मुमुक्षु श्री ललित भंसाली के संयम जीवन की ओर बढ़ते एक प्रेरणादायक निर्णय में प्रत्यक्ष रूप से झलक रहा है। आगामी 30 अप्रैल को थांदला में प्रवर्तक श्री जिनेंद्र मुनि जी महाराज साहब से दीक्षा ग्रहण करने जा रहे ललित भाई को सम्मानित करने हेतु पेटलावद में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया।

इस अवसर पर तत्वज्ञ धर्मेंद्र मुनि जी ने कहा कि – “पुण्य नष्ट करने के लिए कोई प्रयास नहीं करना पड़ता, लेकिन कर्म खपाने के लिए पुरुषार्थ करना पड़ता है। संयम भाव मूलतः दुःख के अनुभव से ही उत्पन्न होता है। यह केवल वैभव या शरीर के कष्टों से नहीं, बल्कि किसी भी संसारी गतिविधि से उत्पन्न हो सकता है।”

उन्होंने आगे कहा, “ललित भाई के पास संसारिक दृष्टि से सब कुछ था, लेकिन उसमें उन्हें आनंद की अनुभूति नहीं हुई। उन्होंने पद्गलों का नहीं, सिद्धों का सुख पाने का संकल्प लिया है – और वह केवल संयम मार्ग से ही संभव है।”

पूज्य गिरीश मुनि जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि संयम से ही विश्वमित्रता का संबंध स्थापित होता है। संयमी वही है जो मुक्ति की दिशा में प्रवृत्ति करता है। विवाह के बंधन को लेकर उठे प्रश्न पर उन्होंने आचार्य उमेश मुनि जी के सारगर्भित उत्तर का उल्लेख करते हुए कहा कि – “मोह-कषाय से की गई प्रतिज्ञा यदि धर्म मार्ग में बाधा बने, तो उसे तोड़ना धर्म है।

ललित भंसाली का आत्मिक उद्बोधन

मुमुक्षु ललित भंसाली ने कहा, “मैं अब समझ गया हूँ कि हम सभी सिंह हैं, पर गीदड़ की खाल में लिपटे हुए हैं। अब मैं उस खाल को उतारकर शिव मार्ग पर चलने जा रहा हूँ। एक फुट ज़मीन के लिए झगड़ने वाला, रुपयों के लिए अड़ने वाला ललित अब संयम की शक्ति को पहचान चुका है।”

उन्होंने आगे कहा – “मैं पेटलावद में कई बार आया, पर तब मेरा स्वागत नहीं हुआ। आज जब मैं साधुवेश धारण करने जा रहा हूँ, तब मेरे सम्मान में जयकारा यात्रा निकाली जा रही है – यही असली पहचान है संयम की गरिमा की।”

“गहरी नींद से सोए को जगाया जा सकता है, पर जो नींद का अभिनय कर रहा है, उसे नहीं। जैसे एक घूंट चाय से स्वाद का पता चल जाता है, वैसे ही मुझे संसार के झूठे वैभव का यथार्थ समझ में आ गया है। इसी समझ ने मुझे वैराग्य और संयम का योद्धा बना दिया है।”

सादगीपूर्ण आयोजन, भव्य जयकारा यात्रा

कार्यक्रम के अंतर्गत बिना किसी आडंबर के एक सम्मान यात्रा निकाली गई। स्थानक भवन पर आयोजित बहुमान समारोह में श्री संघ, महावीर समिति, जैन सोशल ग्रुप, डूंगर प्रांतीय चंदन श्राविका संगठन आदि संगठनों ने उनका अभिनंदन किया।

आयोजन में कार्यवाहक अध्यक्ष मणिलाल चाणोदिया, उपाध्यक्ष महेंद्र कटकारी, कोषाध्यक्ष विमल मोदी, संघ संवाददाता जितेंद्र मेहता, महिला मंडल अध्यक्ष आशा भंडारी, बहु मंडल अध्यक्ष संगीता मेहता, नीरज जैन, अनोखी लाल मेहता, नरेंद्र कटनी, नरेंद्र मोदी, संगीता मोदी, खुशबू कटकानी सहित अनेक श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहीं। संचालन व अभिनंदन पत्र का वाचन श्री राजेंद्र कटकारी ने किया।
सुरेश सोलंकी परिवार की ओर से नवकारसी का आयोजन भी किया गया।


(विशेष रिपोर्ट: अंतिम युद्ध – निलेश सोनी)

 


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