
भारत 1 जनवरी 2026 से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के शक्तिशाली समूह BRICS की अध्यक्षता संभालने जा रहा है। यह जिम्मेदारी ऐसे समय में मिल रही है, जब वैश्विक राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं और अमेरिका व पश्चिमी देशों के साथ BRICS देशों के रिश्तों में तनाव की स्थिति बनी हुई है। अमेरिका द्वारा BRICS देशों पर संभावित टैरिफ लगाने की चेतावनी ने इस समूह को और अधिक चर्चा में ला दिया है।
भारत की अध्यक्षता के साथ ही BRICS एक बार फिर वैश्विक मंच पर केंद्र में आ गया है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर BRICS क्या है, इसमें कौन-कौन से देश शामिल हैं और यह संगठन करता क्या है।
क्या है BRICS?
BRICS 11 देशों का एक बहुपक्षीय समूह है, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका इसके मूल सदस्य हैं। इनके अलावा हाल के वर्षों में सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, इथियोपिया और इंडोनेशिया को भी इसमें शामिल किया गया है।
BRICS मुख्य रूप से ग्लोबल साउथ के देशों के लिए एक राजनीतिक और कूटनीतिक मंच के रूप में काम करता है। इसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक सहयोग को बढ़ाना तथा वैश्विक शासन व्यवस्था में विकासशील देशों की भागीदारी को मजबूत करना है।
यह समूह संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसी वैश्विक संस्थाओं में सुधार और समान प्रतिनिधित्व की वकालत करता है। BRICS देश मिलकर दुनिया की 40 प्रतिशत से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं और इनके बीच आपसी व्यापार 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का है।
BRICS की शुरुआत कैसे हुई?
‘BRIC’ शब्द का प्रयोग पहली बार वर्ष 2001 में गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री जिम ओ’नील ने किया था। उन्होंने ब्राजील, रूस, भारत और चीन को भविष्य की उभरती आर्थिक शक्तियों के रूप में पहचाना था।
इसके बाद 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान इन देशों के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक हुई। वर्ष 2009 में रूस के येकातेरिनबर्ग में पहला BRIC शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद यह समूह BRICS कहलाया।
BRICS कैसे काम करता है?
BRICS एक अनौपचारिक संगठन है। इसका कोई स्थायी सचिवालय या लिखित चार्टर नहीं है। हर साल सदस्य देशों में से कोई एक देश अध्यक्षता करता है और शिखर सम्मेलन की मेजबानी करता है।
इस मंच पर फैसले सर्वसम्मति से लिए जाते हैं। BRICS का प्रमुख लक्ष्य अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करना, वैकल्पिक वित्तीय प्रणाली विकसित करना और विकासशील देशों को वैश्विक निर्णय प्रक्रिया में मजबूत आवाज़ देना है। इसी दिशा में न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) जैसे संस्थानों की स्थापना की गई है।
पश्चिमी देशों की नजर में BRICS
पश्चिमी देश लंबे समय तक BRICS को गंभीर चुनौती के रूप में नहीं देखते रहे हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में ग्लोबल साउथ के देशों के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता भी सामने आई है। कुछ यूरोपीय नेताओं का मानना है कि कम आय वाले देश अब पश्चिमी वित्तीय संस्थानों के विकल्प तलाश रहे हैं, जिसमें BRICS एक मजबूत मंच बनकर उभरा है।
भारत की भूमिका क्यों अहम?
भारत की अध्यक्षता ऐसे समय में आ रही है, जब दुनिया बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रही है। भारत से अपेक्षा की जा रही है कि वह BRICS को संवाद, संतुलन और सहयोग के रास्ते पर आगे बढ़ाएगा और विकासशील देशों की सामूहिक आवाज़ को वैश्विक मंच पर मजबूती देगा।