Tuesday, December 30

AI ने तोड़ा सालों पुराना मिथक: अलग-अलग नहीं होते फिंगरप्रिंट, क्राइम इन्वेस्टिगेशन में आ सकता है बड़ा बदलाव

 

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अगर आप भी मानते थे कि हर फिंगरप्रिंट पूरी तरह से यूनिक होता है, तो अब AI ने इस पुरानी धारणा को चुनौती दी है। वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से पाया कि एक ही व्यक्ति की अलग-अलग उंगलियों के निशान में कई समानताएं हो सकती हैं, जिससे फोरेंसिक साइंस का सदियों पुराना तथ्य अब मिथक बन गया है।

 

AI ने कैसे किया ये खुलासा?

 

कोलंबिया यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ बफैलो के शोधकर्ताओं ने डीप लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क आधारित AI सिस्टम तैयार किया। पारंपरिक फिंगरप्रिंट जांच में उंगलियों की बारीक रेखाओं और बिंदुओं (मिन्यूशिया) पर ध्यान दिया जाता है। लेकिन नए AI सिस्टम ने बड़े पैटर्न जैसे रिज ओरिएंटेशन और कर्वेचर को ध्यान में रखकर जांच की।

 

AI ने 77% सटीकता से पता लगाया कि दो अलग उंगलियों के निशान एक ही व्यक्ति के हैं या नहीं।

जब कई फिंगरप्रिंट सैंपल एक साथ इस्तेमाल किए गए, तो सटीकता 99.99% तक पहुँच गई।

 

क्राइम इन्वेस्टिगेशन में बड़ा बदलाव

 

रिपोर्ट के मुताबिक, यह तकनीक संदिग्धों की लिस्ट को 90% तक घटा सकती है। उदाहरण के लिए, अगर दो अलग-अलग क्राइम सीन से आंशिक फिंगरप्रिंट मिले और 1,000 संभावित संदिग्ध हों, तो पारंपरिक जांच में सभी उंगलियों का मिलान करना पड़ता है। वहीं AI सिस्टम इसे घटाकर सिर्फ 40 संभावित अपराधियों तक सीमित कर सकता है।

 

इसका मतलब है कि पुलिस को अब यह जानने की जरूरत नहीं कि निशान किस उंगली का है। AI सिस्टम अलग-अलग उंगलियों के बीच समानताएं पहचानकर जांच आसान बना देगा।

 

शोध में रखी गई सावधानी

 

यह AI सिस्टम सभी लिंग और नस्लीय समूहों पर समान रूप से काम करता है।

अलग-अलग सेंसर से लिए गए फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल करके सिस्टम की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ाई गई।

हालांकि, रियल वर्ल्ड में इस्तेमाल से पहले इसे और बड़े डेटाबेस पर टेस्ट किया जाना बाकी है।

 

यह रिसर्च फोरेंसिक दुनिया में क्रांति ला सकती है और अपराधियों की पहचान में समय और मेहनत दोनों बचा सकती है।

 

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