
छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बच्चों के साथ हुई दुखद घटना ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है। सरकारी अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर प्रवीण सोनी और उनकी पत्नी ज्योति को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। मामले की जांच में सामने आया कि डॉक्टर सोनी बच्चों के लिए ऐसा कफ सिरप लिखते थे जो वास्तव में उपलब्ध ही नहीं था।
पुलिस और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डॉक्टर के पर्चे पर नेस्ट्रो-पीएल कफ सिरप लिखा होता था। यह सिरप बाजार में उपलब्ध नहीं था। जब परिजन इसे खरीदने गए, तो डॉक्टर की पत्नी ज्योति ने उन्हें इसके स्थान पर कोल्ड्रिफ कफ सिरप दिया। इस सिरप में डीईजी (डायएथिलीन ग्लाइकॉल) की अत्यधिक मात्रा पाई गई, जो बच्चों की मौत का मुख्य कारण बनी।
जांच में चौंकाने वाले तथ्य
- डॉक्टर प्रवीण सोनी जानबूझकर ऐसे सिरप का नाम पर्चे पर लिखते थे, ताकि अन्य मेडिकल स्टोर इसे न दे सकें और केवल उनकी पत्नी के स्टोर से ही दवा खरीदी जा सके।
- कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी के मालिक और केमिकल एनालिस्ट को भी गिरफ्तार किया गया है।
- जांच में यह खुलासा हुआ कि सिरप में 42% डीईजी की मात्रा थी, जो जहरीली साबित हुई।
पुलिस की पड़ताल में:
पर्चों की जांच से यह साबित हुआ कि नेस्ट्रो-पीएल कफ सिरप बाजार में उपलब्ध ही नहीं था। यह स्पष्ट संकेत है कि डॉक्टर द्वारा यह पर्चा जानबूझकर लिखा गया था।
यह घटना छिंदवाड़ा में स्वास्थ्य व्यवस्था और चिकित्सा नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। 26 मासूम बच्चों की जान जाने के बाद इलाके में शोक का माहौल है।