
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के ‘गॉडफादर’ कहे जाने वाले मशहूर कंप्यूटर वैज्ञानिक जेफ्री हिंटन ने एक बार फिर एआई को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। उनका कहना है कि साल 2026 में एआई का सबसे बड़ा खतरा नौकरियों पर पड़ेगा और इसकी रफ्तार पहले से कहीं ज्यादा तेज हो जाएगी। हिंटन की यह भविष्यवाणी न सिर्फ टेक इंडस्ट्री, बल्कि आम कामगारों की भी धड़कनें बढ़ा रही है।
हाल ही में सीएनएन के एक कार्यक्रम में बातचीत के दौरान हिंटन ने कहा कि 2025 एआई के लिए टर्निंग पॉइंट रहा, लेकिन 2026 में यह तकनीक और ज्यादा आक्रामक रूप ले सकती है। अभी एआई कॉल सेंटर जैसी नौकरियों को प्रभावित कर रहा है, मगर आने वाले समय में यह कई और पेशों को भी अपने कब्जे में ले लेगा।
हर सात महीने में दोगुनी रफ्तार
फॉर्च्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंटन का दावा है कि एआई हर सात महीने में अपनी क्षमता दोगुनी कर रहा है।
जहां पहले कोडिंग का काम एक घंटे में होता था, अब एआई उसे मिनटों में कर देता है। उन्होंने चेताया कि कुछ सालों में वह सॉफ्टवेयर, जिसे बनाने में महीनों लगते थे, एआई बेहद कम समय में तैयार कर देगा। इसका सीधा असर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग और टेक नौकरियों पर पड़ेगा।
हिंटन का मानना है कि एआई न सिर्फ तेज हुआ है, बल्कि अब यह तर्क करने और लोगों को गुमराह करने में भी बेहतर हो गया है—जो इसे और खतरनाक बनाता है।
एआई से खतरे क्यों बढ़े?
2023 में जेफ्री हिंटन ने गूगल छोड़ दिया था, ताकि वे एआई के खतरों पर खुलकर बोल सकें। अब उनका कहना है कि उनकी चिंता पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है।
हिंटन के मुताबिक, अगर भविष्य में एआई को यह महसूस हुआ कि कोई उसे बंद करने की कोशिश कर रहा है, तो वह धोखा देकर अपना अस्तित्व बचाने की कोशिश कर सकता है। यही स्थिति इंसानों के लिए बड़ा जोखिम बन सकती है।
क्या एआई अमीरों को और अमीर बनाएगा?
हिंटन ने यह सवाल भी उठाया कि एआई का आर्थिक फायदा किसे मिलेगा। उनका कहना है कि बड़ी टेक कंपनियां एआई के जरिए कम लागत में ज्यादा काम करवाएंगी और भारी मुनाफा कमाएंगी।
इससे कुछ लोग बेहद अमीर होंगे, जबकि बड़ी आबादी के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो सकता है। उन्होंने चेताया कि मुनाफे की दौड़ में कई कंपनियां सुरक्षा से समझौता कर सकती हैं।
फायदे भी कम नहीं, लेकिन…
हिंटन यह भी मानते हैं कि एआई के फायदे अनगिनत हैं। मेडिकल, शिक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में यह क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। नई खोजें होंगी और कई जटिल समस्याओं का समाधान मिलेगा।
लेकिन उनका साफ कहना है कि फायदों के साथ जो खतरे सामने आ रहे हैं, वे कहीं ज्यादा डरावने हैं।
निष्कर्ष:
जेफ्री हिंटन की चेतावनी यह साफ संकेत देती है कि 2026 सिर्फ तकनीक का साल नहीं, बल्कि रोजगार और समाज के भविष्य की बड़ी परीक्षा होने वाला है। सवाल यही है—क्या दुनिया एआई की इस रफ्तार के साथ खुद को ढाल पाएगी, या इसके साए में नौकरियां सबसे बड़ी कीमत चुकाएंगी?