
नई दिल्ली: भारत सरकार देश को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखती है, लेकिन हालात कुछ और ही बयान कर रहे हैं। आम बातों में लगे छाते और चश्मे तक हमें चीन से आयात करने पड़ रहे हैं। साल 2025-26 के आंकड़े बताते हैं कि भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर चीन है, और व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है।
सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए आगामी बजट में बड़ा कदम उठाने की योजना बनाई है। कुछ खास सामान के आयात पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इंसेंटिव देने पर विचार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य देश का व्यापार घाटा कम करना और आयात पर निर्भरता घटाना है।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, लगभग 100 ऐसे सामान हैं जिन पर स्थानीय उत्पादन बढ़ाने के लिए आर्थिक मदद दी जा सकती है। इनमें इंजीनियरिंग उत्पाद, मशीनें, स्टील के सामान और रोजमर्रा की चीजें जैसे सूटकेस, फ्लोरिंग मटीरियल्स शामिल हैं। वर्तमान में इन पर 7.5% से 10% कस्टम ड्यूटी लागू है।
आंकड़ों की कहानी
अप्रैल से नवंबर 2026 के बीच, भारत ने 292 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया, जबकि आयात 515.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यानी व्यापार घाटा 223.2 अरब डॉलर का रहा। चीन से छाते और चश्मों का भारी आयात इसके स्पष्ट उदाहरण हैं। 2025 में भारत ने 20.85 मिलियन डॉलर के छाते आयात किए, जिनमें से 17.7 मिलियन डॉलर चीन से आए। इसी तरह चश्मों और गॉगल्स का आधा आयात भी चीन से हुआ। खेती-बाड़ी की मशीनों में तो 90% निर्भरता चीन पर है।
चुनौतियां और समाधान
स्थानीय उत्पादक अक्सर आयातित सामान के मुकाबले गुणवत्ता या कीमत में कमजोर पड़ जाते हैं। यही वजह है कि लोग चीन से सामान खरीदते हैं। सरकार उद्योग जगत को सलाह दे रही है कि सप्लाई चेन में किसी एक देश पर निर्भर न रहें और देश में उत्पादन बढ़ाएं।
निष्कर्ष: भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नीतिगत बदलाव जरूरी हैं। आयात पर निर्भरता घटाना, स्थानीय उत्पादन बढ़ाना और व्यापार घाटे को कम करना ही आत्मनिर्भर भारत की दिशा में पहला कदम होगा।