
नई दिल्ली।
देश को दहला देने वाले नोएडा निठारी कांड में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को अंतिम बचे मामले में भी सभी आरोपों से बरी कर दिया है। इस फैसले के साथ ही करीब दो दशक पुराने इस भयावह मामले का कानूनी अध्याय अब लगभग समाप्त हो गया है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कोली की क्युरेटिव याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि उसे अब किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने 15 फरवरी 2011 के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें कोली की सजा को बरकरार रखा गया था, साथ ही 28 अक्टूबर 2014 के पुनर्विचार याचिका खारिज करने के आदेश को भी निरस्त कर दिया।
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोली किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाए।
🔹 क्युरेटिव याचिका में क्या था तर्क?
कोली ने अपनी याचिका में कहा था कि जिन साक्ष्यों के आधार पर उसे दोषी ठहराया गया था, वही साक्ष्य अन्य सभी मामलों में अविश्वसनीय पाए गए और उन्हीं आधारों पर उसे बरी कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने माना कि जब समान परिस्थितियों और साक्ष्यों में बाकी मामलों में उसे दोषमुक्त किया गया है, तो केवल एक मामले में सजा बरकरार रखना विसंगति होगी।
🔹 बाकी 14 मामलों में पहले ही मिली थी राहत
इससे पहले जुलाई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें कोली और उसके सह-अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंधेर को 14 मामलों में बरी कर दिया गया था। अब अंतिम बचे इस मामले में भी राहत मिलने के बाद कोली को पूरी तरह से आज़ादी मिल गई है।
🔹 निठारी कांड: देश को हिला देने वाला मामला
साल 2005-2006 में नोएडा के निठारी गांव के एक नाले से कई बच्चों और महिलाओं के कंकाल व शरीर के अंग मिले थे। यह मामला पूरे देश में सनसनी का विषय बन गया था। जांच में सामने आया था कि घर के नौकर सुरेंद्र कोली और उसके मालिक मोनिंदर सिंह पंधेर पर बच्चों के अपहरण, हत्या और नरभक्षण जैसे आरोप लगे थे।
हालांकि, वर्षों चली कानूनी लड़ाई के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उपलब्ध सबूतों के आधार पर कोली को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
इस ऐतिहासिक फैसले के साथ निठारी कांड की कानूनी गाथा का अंत हो गया — लेकिन सवाल अब भी वही है कि उन मासूम जिंदगियों का इंसाफ कौन दिलाएगा, जिनकी चीखें आज भी निठारी की गलियों में गूंजती हैं।