
सर्दियों में बच्चों में खांसी, जुकाम या नाक बंद होने जैसी समस्याओं में पेरेंट्स अक्सर स्टीम या नेबुलाइजर का सहारा लेते हैं। लेकिन कई माता-पिता यह नहीं जानते कि इनमें क्या अंतर है और किस स्थिति में कौन सा तरीका सही रहता है।
पीडियाट्रिशियन डॉक्टर संदीप गुप्ता के अनुसार:
नेबुलाइजर कब करें:
दवा के छोटे-छोटे कण बनाकर सीधे फेफड़ों तक पहुँचाते हैं।
उपयोग: अस्थमा, ब्रोंकियोलाइटिस, ब्रोंकाइटिस और खांसी जैसी स्थितियों में।
फायदा: फेफड़ों की सूजन और म्यूकस कम करने में मदद।
स्टीम कब दें:
पानी को उबालकर बनाई जाती है, बड़े कण केवल नाक और गले तक पहुँचते हैं।
उपयोग: नाक बंद, रनिंग नोज, साइनसाइटिस और गले में जलन।
फायदा: ऊपरी श्वसन मार्ग में राहत।
विशेषज्ञ की सलाह:
नेबुलाइजर खांसी और फेफड़ों की समस्याओं के लिए, स्टीम सर्दी और नाक बंद के लिए।
दोनों सुरक्षित और प्रभावी हैं, लेकिन सेल्फ मेडिकेशन न करें। हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही उपयोग करें।
नोट: लेख में दी गई जानकारी इंस्टाग्राम रील पर आधारित है। किसी भी जानकारी या उपचार के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।