
मुर्शिदाबाद की अदालत ने मॉब लिंचिंग मामले में 13 आरोपियों को दोषी करार दिया है। यह हत्या वक्फ कानून के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान हुई थी, जिसमें हरगोविंद दास (72 वर्ष) और उनके पुत्र चंदन दास (40 वर्ष) की भीड़ ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। अदालत इस मामले में मंगलवार को दोषियों को सजा सुनाएगी।
पिता-पुत्र की हत्या की घटना:
यह दर्दनाक घटना इस साल 11 अप्रैल को मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज इलाके में हुई थी। वक्फ कानून के विरोध में प्रदर्शन हिंसक रूप ले लिया। भीड़ ने हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास को उनके घर से बाहर खींचकर सड़क पर पीट-पीटकर मार डाला। इस सांप्रदायिक हिंसा में एक अन्य व्यक्ति की भी मौत हुई थी।
पुलिस जांच और चार्जशीट:
घटना के बाद पुलिस ने एसआईटी का गठन कर विस्तृत जांच की। पड़ोसियों समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने 983 पन्नों की चार्जशीट में आरोपियों के कृत्यों का बारीकी से विवरण प्रस्तुत किया। चार्जशीट में बताया गया कि आरोपियों ने हरगोविंद दास के घर का दरवाजा तोड़कर उन्हें और उनके पुत्र को बाहर खींचा और हत्या को अंजाम दिया।
कानूनी कार्रवाई और सजा:
गिरफ्तार 13 आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 103(2), 310(2), 331(5), 191(3), 115(2), 126(2), 332(a), और 3(5) के तहत दोषी पाया गया है। लोक अभियोजक समीर चट्टोपाध्याय ने बताया कि इनमें से दो धाराओं के तहत मृत्यु दंड का प्रावधान है। दास परिवार ने दोषियों के लिए अधिकतम सजा की मांग की है।
यह मामला देश में मॉब लिंचिंग और सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।