
रविवार की सुबह वाराणसी की पवित्र गंगा नदी पर अचानक भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की गूंज से माहौल रोमांचित हो उठा। गंगोत्री क्रूज के ऊपर आसमान में हेलीकॉप्टर मंडराने लगे, वहीं नदी के किनारे NDRF की नावें भी सक्रिय दिखाई दीं। इस अचानक हुई हलचल से घाटों पर मौजूद श्रद्धालु और पर्यटक हैरान रह गए। कुछ ही पलों में घाटों पर भीड़ जमा हो गई और लोग अनुमान लगाने लगे कि आखिर काशी में ऐसा क्या हो गया।
जल्द ही यह रहस्य खुला कि यह कोई हादसा नहीं, बल्कि एयरफोर्स, NSG कमांडो और NDRF की संयुक्त ‘आतंकी विरोधी अभ्यास ड्रिल’ थी। इस ड्रिल का उद्देश्य आपातकालीन स्थिति में रेस्क्यू ऑपरेशन की तत्परता को परखना था।
डीसीपी काशी गौरव बंसवाल ने बताया कि सुरक्षा बल समय-समय पर इस तरह के अभ्यास करते रहते हैं ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति — चाहे वह आतंकी घटना हो या जलमार्ग पर कोई आपदा — से निपटने में देरी न हो। उन्होंने कहा,
“गंगा जैसी जलधारा में यदि कोई अप्रत्याशित घटना होती है, तो वायुसेना का हेलीकॉप्टर सबसे तेज राहत का जरिया साबित हो सकता है। इसीलिए हेलीकॉप्टर से ऊँचाई पर से रेस्क्यू प्रक्रिया का अभ्यास किया गया।”
इस दौरान एनएसजी के कमांडो ने हवाई रेस्क्यू और रैपलिंग तकनीक का प्रदर्शन किया, जबकि एनडीआरएफ की टीम नदी के भीतर बचाव कार्यों की संभावनाओं पर सक्रिय रही।
लोगों के बीच कुछ देर तक अफवाहों का दौर भी चला, लेकिन जब यह स्पष्ट हुआ कि यह एक सुरक्षा अभ्यास (Counter Terror Drill) है, तो लोगों ने राहत की सांस ली। कई श्रद्धालुओं और पर्यटकों ने अपने मोबाइल से इस अनोखे दृश्य के वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए, जो तेजी से वायरल हो गए।
काशी में पहले भी हो चुकी हैं ऐसी सुरक्षा ड्रिलें
कुछ समय पूर्व कैंट रेलवे स्टेशन, बनारस जंक्शन और काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में भी इसी तरह की संयुक्त सुरक्षा ड्रिल आयोजित की गई थी। यह अभ्यास वाराणसी जैसे धार्मिक और अंतरराष्ट्रीय पहचान वाले शहर में सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए किए जा रहे हैं।
निष्कर्ष:
इस ड्रिल ने एक बार फिर दिखाया कि सुरक्षा एजेंसियां हर संभावित खतरे के लिए पूरी तरह तैयार हैं। काशी की गंगा के ऊपर आसमान में गूंजते हेलीकॉप्टर और नदी में तैनात कमांडो — यह दृश्य श्रद्धालुओं के लिए किसी रोमांचक फिल्म के दृश्य से कम नहीं था।