Saturday, December 20

नितिन नबीन के सामने दो बड़ी चुनौतियां, ‘जी राम’ को सफल बनाना कंधों पर भारी

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत ने राजनीतिक मान्यताओं को झटका दिया। शहरों की पार्टी मानी जाने वाली बीजेपी ने ग्रामीण क्षेत्रों में भी अपनी पकड़ मजबूत की है। इस जीत के पीछे रोजगार, संगठन क्षमता, जातीय समीकरण और आपसी समन्वय ने अहम भूमिका निभाई। अब इसी बड़ी जिम्मेदारी के साथ भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन के कंधों पर नई चुनौतियां हैं।

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केंद्र की मोदी सरकार ने यूपीए सरकार के महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (MGNREGA) को नया नाम दिया है – VB-G RAM G यानी ‘जी राम’ (Viksit Bharat Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission Gramin)। नाम के पीछे न सिर्फ राजनीतिक संदेश है, बल्कि राम की गूंज सुनाई देती है। इसका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों तक रोजगार और आजीविका के अवसर पहुंचाना है।

‘जी राम’ में क्या नया है?

  • अब हर ग्रामीण परिवार को 125 दिन की मजदूरी वाली नौकरी की गारंटी मिलेगी।
  • यदि सरकार रोजगार उपलब्ध नहीं कराती, तो जॉब कार्डधारियों को भत्ता मिलेगा
  • रोजगार के लिए कृषि कार्य, जल सुरक्षा, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़कें, पुल, सामुदायिक भवन आदि को जोड़ा जाएगा, जिससे एकीकृत ग्रामीण विकास मॉडल तैयार होगा।

नितिन नबीन की अग्निपरीक्षा
‘जी राम’ योजना की सफलता सीधे तौर पर नितिन नबीन की सांगठनिक और नेतृत्व क्षमता की परीक्षा होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आजीविका के अवसर देने के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण के लिए आर्थिक सहायता देने का लक्ष्य भी इस मिशन में शामिल है।

विश्लेषकों का कहना है कि यदि ‘जी राम’ योजना सफल होती है, तो नितिन नबीन अनस्किल्ड मजदूरों के पलायन को रोकने और बीजेपी की ग्रामीण पकड़ मजबूत करने में कामयाब होंगे। यह न केवल राजनीतिक रणनीति की जीत होगी, बल्कि नितिन नबीन के नेतृत्व की भी पहचान बनेगी।

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