
ग्रेटर नोएडा। उत्तर प्रदेश सरकार ने सामाजिक सद्भाव बहाल करने के उद्देश्य से बिसाहड़ा कांड के मामले में मुकदमा वापस लेने की याचिका दायर की है। इस याचिका पर आज फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हुई।
सरकारी पक्ष और कानूनी प्रक्रिया
शासन और संयुक्त अभियोजन निदेशक के निर्देश पर सहायक जिला सरकारी वकील (फौजदारी) ने अदालत में आवेदन प्रस्तुत किया। इसमें सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के उद्देश्य से मुकदमा वापस लेने की अनुमति मांगी गई। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अतिरिक्त समय की मांग की, जिस पर अदालत ने अगली सुनवाई 18 दिसंबर 2025 तय की।
उत्तर प्रदेश सरकार के न्याय विभाग-5 (फौजदारी) ने 26 अगस्त 2025 को आदेश जारी किया था, जिसके आधार पर मुकदमा वापस लेने का निर्णय लिया गया। इसके बाद गौतमबुद्ध नगर के संयुक्त अभियोजन निदेशक ने 12 सितंबर 2025 को जिला सरकारी वकील (फौजदारी) को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।
राज्यपाल महोदया ने अभियोजन समाप्ति की स्वीकृति प्रदान की, और यह प्रक्रिया दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत पूरी की गई। आवेदन 15 अक्टूबर 2025 को कोर्ट में प्रस्तुत किया गया।
बिसाहड़ा कांड की पृष्ठभूमि
28 सितंबर 2015 की रात थाना जारचा के अंतर्गत बिसाहड़ा गांव में गोमांस खाने की अफवाह के चलते उग्र भीड़ ने एक घर पर हमला किया। इस घटना में स्थानीय निवासी अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, जबकि उनका पुत्र दानिश गंभीर रूप से जख्मी हुआ।
अखलाक की पत्नी इकरामन ने दस नामजद आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई। जांच में धारा 147, 148, 149, 307, 302, 323, 504, 506, 427, 458 भादवि और 7 CLA के तहत मुकदमा दर्ज हुआ।
साक्ष्य और चार्जशीट प्रक्रिया
प्रारंभिक बयानों में 10 आरोपियों के नाम सामने आए। बाद में गवाहों ने 16 अन्य नाम जोड़े। अखलाक की बेटी शाहिस्ता ने 26 नवंबर 2015 को धारा-164 CRPC के तहत बयान में 16 आरोपियों का नाम लिया। 5 दिसंबर 2015 को दानिश ने 19 व्यक्तियों के नाम बताए।
जांच अधिकारी ने 22 दिसंबर 2015 को 18 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट प्रस्तुत की। वर्तमान में सभी आरोपी जमानत पर हैं, और मामला साक्ष्य प्रस्तुति के चरण में लंबित है।
यह मुकदमा सामाजिक सद्भाव और कानून व्यवस्था बनाए रखने के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, और अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी।