
पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। NDA की सत्ता में वापसी के बावजूद आरोप–प्रत्यारोप का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा। इसी बीच BJP के बाद अब जदयू ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि महागठबंधन के 17 से 18 विधायक NDA में आने को तैयार बैठे हैं। इस बयान ने राज्य के सियासी तापमान को और बढ़ा दिया है।
BJP का दावा—RJD में मची है अंदरूनी बगावत
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री एवं बीजेपी के वरिष्ठ नेता मंगल पांडेय ने कहा कि “लालू यादव के परिवार में जो बगावत हुई, वह सबने देखी है। RJD के अंदर असंतोष गहरा चुका है और बहुत जल्द नेतृत्व के खिलाफ बगावत सबके सामने होगी।”
उन्होंने कहा कि परिवार में दिखी दरार अब पार्टी के भीतर भी खुलकर सामने आने वाली है।
शिवानंद तिवारी का तंज—‘तेजस्वी ने हार के बाद मैदान छोड़ दिया’
RJD नेता और लालू प्रसाद यादव के पुराने साथी शिवानंद तिवारी ने तेजस्वी यादव को शादी की सालगिरह की बधाई देते हुए उनके नेतृत्व पर ही सवाल उठा दिए। उन्होंने आरोप लगाया कि “चुनाव हारने के बाद तेजस्वी मैदान छोड़कर चले गए।”
तिवारी के बयान के बाद RJD खेमे में खासी नाराजगी देखी जा रही है।
JDU का बड़ा दावा—‘17–18 विधायक संपर्क में’
जदयू के प्रवक्ता एवं विधान परिषद सदस्य नीरज कुमार ने दावा किया कि महागठबंधन के कई विधायक पार्टी के संपर्क में हैं। उनका कहना है कि “इन विधायकों ने खुद पहल की है। उन्हें धैर्य रखने को कहा गया है।”
JDU का आरोप है कि चुनावी हार के बाद विपक्षी गठबंधन में अफरातफरी और असंतोष चरम पर है।
RJD का पलटवार—‘JDU–BJP का पब्लिसिटी स्टंट’
JDU के दावों पर RJD ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह सब “निराधार, मनगढ़ंत और राजनीतिक पब्लिसिटी स्टंट” है।
राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि—
“JDU और BJP अपने अंदरूनी सत्ता संघर्ष को ढकने के लिए ऐसे भ्रम फैलाने वाली बातें कर रही हैं। महागठबंधन का कोई विधायक टूटने वाला नहीं है।”
उन्होंने कहा कि 17–18 विधायकों को तोड़ने की बात “बेहूदा दावा” है, क्योंकि इसके लिए JDU को RJD, कांग्रेस और AIMIM—तीनों में सेंध लगानी पड़ेगी, जो संभव नहीं है।
महागठबंधन का दावा—‘हमारी पंक्ति में टूट की कोई गुंजाइश नहीं’
महागठबंधन खेमे ने साफ कहा कि उनके विधायक जनता के लिए नफरत, पलायन और रोजगार जैसे मुद्दों पर चुने गए हैं और वे किसी भी तरह के दबाव में आने वाले नहीं हैं।
निष्कर्ष
बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद भी राजनीतिक उठापटक लगातार जारी है। NDA और महागठबंधन दोनों ही एक-दूसरे पर हमले तेज कर चुके हैं। अब देखना होगा कि क्या जदयू का दावा वास्तविक राजनीतिक हलचल का संकेत है या यह सिर्फ सियासी शोर–शराबा।