Tuesday, December 9

कोटपुतली-बहरोड़: सीमेंट प्लांट के खिलाफ ग्रामीणों का 1090 दिन से संघर्ष, NGT के आदेश के बावजूद धरातल पर बदलाव नहीं

कोटपुतली-बहरोड़ (राजस्थान)। अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट के खिलाफ मोहनपुरा-जोधपुरा गांव के ग्रामीणों का संघर्ष लगातार तीन साल से जारी है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने प्लांट क्षेत्र में ब्लास्टिंग रोकने, गांव का पुनर्वास कराने और ग्रीन बेल्ट बनाने के आदेश दिए थे। लेकिन स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि अब भी ब्लास्टिंग जारी है और उनकी सेहत व पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है।

ग्रामीणों की मांग और NGT के आदेश

NGT की सेंट्रल ज़ोन बेंच ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिया था कि मोहनपुरा-जोधपुरा गांव के पुनर्वास के लिए कमेटी बनाई जाए, ब्लास्टिंग रोकी जाए और क्षेत्र में ग्रीन बेल्ट का निर्माण किया जाए। बावजूद इसके, ग्रामीणों का आरोप है कि आदेश के बाद भी जमीन पर कोई ठोस बदलाव नहीं हुआ।

धरातल पर स्थिति

स्थानीय निवासियों का कहना है कि विस्फोट अभी भी जारी हैं और इससे उनके स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है। पुलिस को भी शिकायत की जा चुकी है, लेकिन आश्वासन के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। जोधपुरा संघर्ष समिति की सदस्य ललिता देवी ने बताया कि उन्होंने NGT में याचिका दायर की थी। अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड का कहना है कि मामला अभी कोर्ट में है, इसलिए वे इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते।

NGT आदेशों का विवरण

  • गांव के 500 मीटर के दायरे में विस्फोटों पर प्रतिबंध।
  • संरचनात्मक क्षति के लिए कंपनी को 50,000 रुपये और स्वास्थ्य संबंधी नुकसान के लिए 20,000 रुपये का भुगतान।
  • छह महीने के भीतर पूरे इलाके में ग्रीन बेल्ट बनाना अनिवार्य।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, स्कूल के पास क्रशर चलाना उचित नहीं; स्कूल और क्रशर के बीच केवल 82 मीटर की दूरी है जबकि कम से कम 1.5 किलोमीटर का बफर होना चाहिए।

किसानों का अडिग संघर्ष

ग्रामीण 1090 दिनों से लगातार तख्ती और इनहेलर लेकर धरने पर बैठे हैं। उनका कहना है कि अल्ट्राटेक की मनमानी और लापरवाही से उनका जीवन संकट में है। अब यह देखना बाकी है कि सरकार और कंपनी कब तक समाधान निकालेंगे और धरना कब तक जारी रहेगा।

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