
नई दिल्ली: गरिमा लोहिया, बिहार के बक्सर जिले की एक प्रेरणादायक बेटी हैं, जिन्होंने जीवन की कठिन परिस्थितियों से संघर्ष करके IAS (Indian Administrative Service) में सफलता प्राप्त की। बिना कोचिंग और तमाम मुश्किलों के बावजूद गरिमा ने अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी (UPSC) परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की। आज वे पालीगंज (बिहार) में SDM के पद पर तैनात हैं और अपने क्षेत्र की सेवा कर रही हैं।
पिता का सपना और मां की मदद से हुई शुरुआत
गरिमा के पिता एक कपड़ों के थोक व्यापारी थे, जिनका सपना था कि उनकी बेटी एक दिन IAS बने। उन्होंने अपनी बेटी को पढ़ाई के लिए हमेशा प्रेरित किया और यही वजह थी कि गरिमा ने अपनी शिक्षा के लिए बक्सर से दिल्ली तक का सफर तय किया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से बीकॉम की डिग्री प्राप्त की।
लेकिन, उनका यह सपना पूरा होते हुए भी अधूरा रह गया। 2015 में अचानक गरिमा के पिता का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। इस हादसे ने गरिमा और उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। हालांकि, गरिमा की मां ने उन्हें टूटने से बचाया और उनके सपने को आगे बढ़ाने के लिए उनका हर कदम पर साथ दिया।
कोरोना महामारी के दौरान किया संघर्ष
गरिमा जब दिल्ली में रहकर यूपीएससी की कोचिंग करना चाहती थीं, तब कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में कहर बरपा दिया। सभी कोचिंग सेंटर और स्कूल बंद हो गए, जिससे उनकी पढ़ाई रुक गई। इस कठिन दौर में भी गरिमा का हौसला नहीं टूटा। उन्होंने घर लौटकर ऑनलाइन संसाधनों का सहारा लिया और यूट्यूब व अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए तैयारी शुरू की।
बिना कोचिंग के दूसरे प्रयास में मिली सफलता
गरिमा ने पहले प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त नहीं की, लेकिन उन्होंने हार मानने का नाम नहीं लिया। अपनी असफलता से उन्होंने सीखा और फिर से तैयार हुईं। दूसरे प्रयास में गरिमा ने यूपीएससी 2022 में दूसरी रैंक हासिल की। इस सफलता का श्रेय उन्होंने अपनी मां को दिया, जो हमेशा उनके साथ खड़ी रहीं और उनके हौसले को बनाए रखा।
आज IAS बनने के बाद की जिम्मेदारी
आज गरिमा पालीगंज में SDM (Sub Divisional Magistrate) के पद पर तैनात हैं और अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभा रही हैं। उनकी सफलता आज उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देखते हैं। गरिमा की संघर्ष की कहानी यह बताती है कि धैर्य, मेहनत और सही दिशा से किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।
गरिमा लोहिया की सफलता यह साबित करती है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी मुश्किल अडचन नहीं बन सकती, और मुश्किल हालात में भी सफलता संभव है।
