
नई दिल्ली: ब्लड शुगर कंट्रोल करने वाला इंसुलिन हॉर्मोन पैंक्रियास बनाता है। जब इसमें कैंसर विकसित होता है तो बाइल डक्ट ब्लॉक होने का खतरा रहता है। मणिपाल कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर सेंटर के वाइस चेयरमैन डॉ. अश्विनी कुमार शर्मा के अनुसार, पैन्क्रिएटिक कैंसर शरीर में चुपचाप बढ़ता है और समय पर पहचान न होने पर जानलेवा हो सकता है।
मल और पेशाब का रंग बदलना
यदि पेशाब गहरा पीला या भूरा हो जाए और मल का रंग फीका या मिट्टी जैसा दिखे, तो यह बाइल डक्ट ब्लॉक होने का संकेत हो सकता है। बाइल की कमी पाचन को प्रभावित करती है और शरीर में बिलिरुबिन बढ़ जाता है।
पीलिया और वजन में कमी
आंखों और त्वचा का पीला पड़ना पीलिया का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। इसके अलावा बिना वजह वजन कम होना या भूख न लगना भी गंभीर संकेत है। यह तब होता है जब शरीर फैट और पोषक तत्वों को सही तरह से अवशोषित नहीं कर पाता।
पेट में बेचैनी और दर्द
बढ़ते ट्यूमर के कारण पाचन में गड़बड़ी होती है, जिससे जी मिचलाना, उल्टी और लगातार थकान जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द पीठ तक फैल सकता है।
कैसे पता चलता है?
नियमित जांच से पैन्क्रिएटिक कैंसर का समय पर पता चल सकता है। इसका निदान खून की जांच, अल्ट्रासाउंड, सीटी, पीईटी-सीटी और एमआरआई से किया जाता है।
इलाज के विकल्प
इस कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी से किया जा सकता है। पैन्क्रिया के स्थान और स्थिति के अनुसार पैंक्रियाटिक हेड सर्जरी, बॉडी और टेल सर्जरी या पूरी पैन्क्रिया निकालने की सर्जरी की जा सकती है। हाल ही में रोबोटिक सर्जरी जैसी अत्याधुनिक तकनीक भी उपलब्ध है, जो इस बीमारी में प्रभावशाली साबित हो रही है।
डॉक्टर की सलाह: मूत्र या मल में होने वाले किसी भी असामान्य बदलाव को हल्के में न लें। समय पर जांच और इलाज से लंबा और स्वस्थ जीवन पाया जा सकता है।
नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी दवा या इलाज से पहले विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें।