
नई दिल्ली: बच्चे के जन्म के बाद परिवार में खुशी का माहौल होता है, लेकिन इस समय मां-बाप को कुछ खास आदतें अपनाना बेहद जरूरी है। नवजात शिशु का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और वह आसानी से इंफेक्शन का शिकार हो सकता है। अंकुरा हॉस्पिटल फॉर वीमेन एंड चिल्ड्रेन के कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन एवं नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. एन.एस. कृष्णा प्रसाद के अनुसार, कुछ आसान लेकिन प्रभावी आदतें अपनाकर बच्चे को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाया जा सकता है।
1. हाथों की सफाई सबसे पहले
बच्चे को छूने या गोद में उठाने से पहले हर किसी को हाथ अच्छी तरह धोना चाहिए। बाहर से आने के बाद हाथों को साबुन और पानी से साफ करना, डायपर बदलने और फीड करवाने से पहले हाथ धोना जरूरी है। इसके अलावा, बच्चे को खांसी, जुकाम, बुखार या पेट के संक्रमण वाले लोगों से दूर रखना चाहिए।
2. ब्रेस्टफीडिंग जरूर करवाएं
मां का दूध बच्चे के लिए सबसे पोषक तत्वों और सुरक्षा का स्रोत है। इसमें मौजूद एंटीबॉडी और प्रोटेक्टिव सेल्स बच्चे को श्वसन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन से बचाने में मदद करते हैं।
3. एंबिलिकल कॉर्ड का रखें ध्यान
नवजात की नाभि क्षेत्र को हमेशा साफ और सूखा रखें। यहां किसी तरह का पाउडर, तेल या देसी नुस्खा इस्तेमाल न करें। डायपर नाभि पर न लगाएं। लालिमा, सूजन या बदबू दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
4. नहलाने का सही तरीका
जन्म के पहले 24 घंटे तक बच्चे को पूरी तरह नहलाने से बचें। शुरुआती दिनों में स्पॉन्ज बाथ ही काफी है। कॉर्ड गिरने तक सप्ताह में 2-3 बार नहलाना पर्याप्त है, और क्लींजर का इस्तेमाल फ्रैग्रेंस फ्री होना चाहिए।
5. स्किन से स्किन केयर अपनाएं
कंगारू मदर केयर या स्किन-टू-स्किन संपर्क से बच्चे का तापमान नियंत्रित रहता है, ब्रेस्टफीडिंग आसान होती है और सांस लेने की प्रक्रिया स्थिर रहती है। यह कम वजन वाले नवजात के लिए बेहद जरूरी है।
घर को बनाएं सुरक्षित और साफ
- घर में धुआं, अगरबत्ती या स्प्रे का इस्तेमाल न करें।
- शुरुआती दिनों में ज्यादा मेहमानों से बचें।
- बच्चे के कपड़े और बिस्तर हल्के डिटर्जेंट से धोएं।
- कमरे को हवादार रखें।
फीडिंग की चीजों की सफाई
अगर बोतल या पंप का इस्तेमाल हो रहा है, तो इसे तुरंत धोकर साफ तौलिये से सुखाएं। नमी में बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं।
डॉक्टर को कब दिखाएं?
- बुखार या असामान्य ठंडापन
- दूध पीने में परेशानी या फीड ना करना
- ज्यादा सोना या चिड़चिड़ापन
- तेज सांस या आवाज
- आंख या त्वचा का पीला पड़ना
- नाभि क्षेत्र में लालिमा या डिस्चार्ज
नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी दवा या इलाज से पहले हमेशा विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लें।