
नई दिल्ली: बुधवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक 90 के स्तर को पार कर गया। इस साल रुपये का प्रदर्शन एशिया की प्रमुख मुद्राओं में सबसे खराब रहा। रुपये में यह तेज गिरावट न केवल आम जनता की जेब पर असर डाल रही है, बल्कि विभिन्न सेक्टरों में भी लाभ और नुकसान के संकेत दे रही है।
क्यों आ रही है गिरावट?
- विदेशी निवेशक पलायन: इस साल विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 17 अरब डॉलर से ज्यादा निकाले।
- व्यापार घाटा बढ़ना: अक्टूबर में व्यापार घाटा 41.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
- भारत-अमेरिका व्यापार डील में देरी और अनिश्चितता।
- भू-राजनीतिक और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं।
इन कारणों से रुपये पर दबाव बढ़ा और डॉलर के मुकाबले यह कमजोर हुआ।
नुकसान झेलने वाले सेक्टर
- तेल आयातक और पेट्रोलियम कंपनियां
- भारत अपनी 85% तेल जरूरतें आयात करता है। रुपये के गिरने से कच्चा तेल महंगा हो जाएगा।
- पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना, सरकारी सब्सिडी का भार बढ़ेगा।
- खाद उत्पादन और सब्सिडी
- आयातित खाद महंगी होगी, जिससे सरकार का सब्सिडी बिल बढ़ेगा।
- विदेश में पढ़ाई
- डॉलर में फीस वही रहेगी, लेकिन रुपये में खर्च बढ़ेगा। एजुकेशन लोन की ईएमआई और कुल खर्च बढ़ जाएगा।
- शेयर बाजार
- निवेशक अनिश्चितता के कारण सतर्क रहेंगे। विदेशी निवेशक रुपये के स्थिर होने तक पैसा बाहर रख सकते हैं।
- एयरलाइन उद्योग
- ईंधन और विमानों के लीज रेंटल लागत बढ़ेगी, हवाई यात्रा महंगी होगी।
- महंगी कारें और इलेक्ट्रिक व्हीकल
- आयातित पुर्जों की लागत बढ़ने से वाहन महंगे होंगे।
- स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स
- आयातित पुर्जों के कारण कीमतें बढ़ सकती हैं।
- सोना और चांदी
- भारत के आयात पर निर्भर होने के कारण कीमतें और महंगी होंगी।
लाभ उठाने वाले सेक्टर
- विदेश से पैसा भेजने वाले भारतीय
- डॉलर के मुकाबले ज्यादा रुपये मिलेंगे। वित्त वर्ष 2025 में विदेश से भेजी गई रकम रिकॉर्ड 135.5 अरब डॉलर थी।
- निर्यातक उद्योग
- रुपये के कमजोर होने से भारतीय माल विदेश में सस्ता होगा।
- अमेरिका में टैरिफ का असर कम होगा।
- आईटी और फार्मा उद्योग
- इन कंपनियों की कमाई का बड़ा हिस्सा डॉलर में होता है। रुपये के कमजोर होने से उनकी रुपये में कमाई बढ़ेगी।
रुपये में गिरावट से जहां आयातित सामान महंगा होगा और महंगाई बढ़ सकती है, वहीं निर्यातक, IT और फार्मा कंपनियां रुपये के कमजोर होने का फायदा उठा सकेंगी। अर्थव्यवस्था के लिए यह संतुलन महत्वपूर्ण साबित होगा।