
नई दिल्ली। हल्दी को भारतीय रसोई में ‘सुपरफूड’ का दर्जा दिया जाता है। यह सूजन कम करने, दर्द में राहत देने और कई गंभीर बीमारियों से बचाव में भी सहायक मानी जाती है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कई शोधों में कैंसर-रोधी गुणों के साथ जुड़ा पाया गया है। यही वजह है कि हाल के वर्षों में लोग इसका सेवन बढ़ा चुके हैं।
लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक हल्दी का अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। खासकर करक्यूमिन की जरूरत से ज्यादा मात्रा शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है।
ज्यादा हल्दी क्यों है नुकसानदायक?
शोध बताते हैं कि हल्दी या करक्यूमिन की ओवरडोज़ से लिवर पर दबाव बढ़ता है, जिससे हल्का हेपेटिक स्ट्रेस या इंजरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। डॉक्टरों के अनुसार खाना बनाने में डाली जाने वाली सामान्य मात्रा से नुकसान की संभावना कम होती है, लेकिन करक्यूमिन सप्लीमेंट को बिना डॉक्टर की सलाह के लेना खतरनाक हो सकता है।
क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं?
✔ लिवर इंजरी:
लिवर करक्यूमिन को तोड़कर शरीर से बाहर निकालता है। जब मात्रा ज़रूरत से ज्यादा हो जाती है तो दाईं तरफ पेट में दर्द, थकान, शरीर में पीलापन और लिवर एंजाइम बढ़ने जैसी दिक्कतें दिख सकती हैं।
✔ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या:
करक्यूमिन की बढ़ी हुई मात्रा पेट के एंजाइम बढ़ा देती है। इससे पेट दर्द, जी मिचलाना, गैस, दस्त, अपच और सीने में जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
✔ खून की कमी (Iron Deficiency):
अधिक हल्दी आयरन के अवशोषण को कम कर देती है। इससे थकान, कमजोरी, सांस फूलना और चक्कर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
एक दिन में कितनी हल्दी सुरक्षित है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, एक स्वस्थ व्यक्ति को 0–3 mg/kg करक्यूमिन प्रतिदिन लेना चाहिए।
हल्दी में करक्यूमिन लगभग 3–8% होता है।
उदाहरण के तौर पर:
50 किलो वजन वाले व्यक्ति को लगभग 150 mg करक्यूमिन की जरूरत होती है, जो करीब 1.5 ग्राम हल्दी से पूरा हो जाता है।
डॉक्टरों का कहना है कि नियमित भोजन में इस्तेमाल होने वाली हल्दी ठीक है, लेकिन अगर आप करक्यूमिन सप्लीमेंट लेना चाहते हैं तो पहले चिकित्सकीय सलाह ज़रूर लें।
(डिस्क्लेमर)
यह रिपोर्ट केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रकाशित की गई है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह या इलाज का विकल्प नहीं है। स्वास्थ्य संबंधी किसी भी निर्णय से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य संपर्क करें।