Tuesday, December 2

विवाद के बीच सरकार ने कहा: फोन से डिलीट कर सकेंगे ‘संचार साथी’ ऐप

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने स्मार्टफोन्स में प्री-इंस्टॉल किए जाने वाले संचार साथी ऐप को लेकर बढ़ रहे विवाद पर सफाई दी है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह एक ऑप्शनल ऐप होगी और यूजर्स इसे अपने फोन से डिलीट कर सकेंगे।

क्या था विवाद?

दूरसंचार विभाग (DoT) ने Apple, Samsung, Motorola, Xiaomi, Vivo और Oppo जैसी कंपनियों को आदेश दिया था कि वे अपने नए स्मार्टफोन्स में संचार साथी ऐप को पहले से इंस्टॉल करके ही बेचें। ऐसा न करने पर कंपनियों पर जुर्माना लगाया जा सकता था।

इस आदेश के बाद कंपनियों, टेक एक्सपर्ट्स और यूजर्स ने विरोध जताया। प्रमुख सवाल थे: ऐप का उद्देश्य क्या है, डेटा कहां स्टोर होगा और क्या यूजर्स इसे हटा पाएंगे।

सरकार की सफाई

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि यूजर्स इस ऐप को इस्तेमाल न करना चाहें, तो इसे अपने फोन से हटा सकते हैं।
सरकार ने कहा कि ऐप का उद्देश्य मोबाइल सुरक्षा और साइबर सुरक्षा को बढ़ाना है, और इसे ऑप्शनल बनाकर यूजर्स की सुविधा को ध्यान में रखा गया है।

सिम-बाइंडिंग भी लागू होगी

संचार साथी ऐप के साथ-साथ सरकार ने WhatsApp और Telegram जैसे मैसेजिंग ऐप्स के लिए सिम-बाइंडिंग का आदेश भी दिया है। यह फरवरी 2026 से लागू होगा। आदेश के अनुसार, किसी भी मैसेजिंग ऐप को चलाने के लिए उस नंबर का सिम फोन में होना अनिवार्य होगा।

टेक एक्सपर्ट्स और कंपनियों की चिंता

स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों ने इसे अपनी ग्लोबल पॉलिसी के खिलाफ बताया और कुछ कंपनियां कानूनी रास्ता अपनाने पर भी विचार कर रही हैं। वहीं, ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (BIF) के प्रेसिडेंट टी.वी. रामचंद्रन ने कहा कि सिम-बाइंडिंग में तकनीकी समस्याएं हो सकती हैं और यह सभी डिवाइस पर सही से काम नहीं कर सकता।

निष्कर्ष:
हालांकि प्रारंभिक आदेश को लेकर नाराजगी थी, अब सरकार ने साफ कर दिया है कि संचार साथी ऐप पूरी तरह ऑप्शनल है। यूजर्स अपनी सहूलियत के अनुसार इसे अपने फोन से हटा सकते हैं, जिससे प्राइवेसी को लेकर आशंकाएं कम हो जाएंगी।

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