
नई दिल्ली। टाटा समूह के लिए एक अहम विकास के रूप में, दिवंगत रतन टाटा के बेहद करीबी और उद्योग जगत की जानी-मानी हस्ती मेहली मिस्त्री ने स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल ट्रस्ट (SAHT) के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है। यह वही ट्रस्ट है जो मुंबई में देश का सबसे बड़ा पालतू पशु स्पेशियलिटी हॉस्पिटल संचालित करता है—एक ऐसा प्रोजेक्ट जिसे रतन टाटा ने अपने घायल पालतू कुत्ते के इलाज के अभाव को देखते हुए अपने जीवन का सपना बनाया था।
SDTT और SRTT से कार्यकाल खत्म, अब SAHT से अलगाव
अक्टूबर में मेहली मिस्त्री का सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT) और सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) में ट्रस्टी के तौर पर कार्यकाल पूरा हुआ था, और इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। इसके बाद अब उन्होंने SAHT से भी इस्तीफा सौंप दिया है।
अपने त्यागपत्र में मिस्त्री ने कहा:
“चूंकि मैं SDTT और SRTT से अब जुड़ा नहीं हूं, इसलिए मैं स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल ट्रस्ट के लिए फंड की व्यवस्था नहीं कर पाऊंगा। न ही मैं किसी ऐसे ट्रस्ट से फंड मांगना उचित समझता हूं जिससे मैं जुड़ा नहीं हूं। इसलिए मैं तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूं।”
रतन टाटा का सपना: भारत में विश्वस्तरीय पेट हॉस्पिटल
SAHT का निर्माण रतन टाटा की उस निजी पीड़ा से जुड़ा है जब वे अपने घायल कुत्ते के इलाज के लिए देश में बेहतर सुविधाएँ खोजने में असमर्थ रहे थे। यह हॉस्पिटल—
- देश का सबसे बड़ा स्मॉल एनिमल स्पेशियलिटी अस्पताल
- अत्याधुनिक सर्जरी, न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, ऑन्कोलॉजी जैसी सुविधाओं से लैस
- पालतू जानवरों के लिए भारत में पहली बार विश्व-स्तरीय चिकित्सा सेवा
यह प्रोजेक्ट रतन टाटा की संवेदनशीलता और पशु कल्याण को लेकर उनकी गंभीर दृष्टि का प्रतीक है।
बोर्ड में कौन-कौन बचे?
मिस्त्री के इस्तीफे के बाद SAHT से डॉ. अनिरुद्ध कोहली (सीईओ, ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल) ने भी पद छोड़ दिया। अब बोर्ड में केवल 5 ट्रस्टी बचे हैं—
- लीया टाटा – नोएल टाटा की बेटी
- मेहरनोश कपाड़िया – इंडियन होटल्स के पूर्व डायरेक्टर
- आर. आर. शास्त्री – टाटा संस के पूर्व कानूनी सलाहकार
- शांतनु नायडू – टाटा मोटर्स के जनरल मैनेजर, और रतन टाटा के करीबी
- सिद्धार्थ शर्मा – टाटा ट्रस्ट्स के सीईओ
चेयरमैन के लिए सुझाव
मिस्त्री ने सुझाव दिया है कि—
ट्रस्ट के सीईओ सिद्धार्थ शर्मा या कोई अन्य योग्य ट्रस्टी, SAHT के चेयरमैन का पद संभालें।
उनका तर्क है कि सिद्धार्थ शर्मा अपने पद और अनुभव के चलते बड़े टाटा ट्रस्ट्स से फंड की व्यवस्था करने के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति होंगे।
क्या रतन टाटा का सपना प्रभावित होगा?
मिस्त्री की रवानगी निश्चित रूप से SAHT के लिए बड़ा बदलाव है, क्योंकि वे लंबे समय से इस परियोजना से जुड़े रहे हैं। लेकिन बोर्ड में अब भी टाटा परिवार के प्रतिनिधि और वरिष्ठ पेशेवर मौजूद हैं, जो—
- फंडिंग की निरंतरता
- हॉस्पिटल की विस्तार योजनाएँ
- रतन टाटा की मूल दृष्टि
को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
टाटा समूह के जानकारों का मानना है कि ट्रस्ट्स की संरचनात्मक मजबूती और स्पष्ट नेतृत्व व्यवस्था से यह प्रोजेक्ट बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ सकता है।