
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में 200 से अधिक सीटें जीतकर सत्ता में लौटी NDA सरकार ने मंत्रिमंडल गठन में सोशल इंजीनियरिंग का ऐसा संतुलित समीकरण पेश किया है, जो राजनीतिक संदेश भी दे रहा है और सियासी गणित भी मजबूत कर रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी हाईकमान ने यह सुनिश्चित किया कि प्रतिनिधित्व में “जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” के मंत्र का पूरी तरह पालन हो।
महिलाओं को प्राथमिकता – तीन मंत्री, एक मजबूत संदेश
नीतीश कुमार ने फिर साबित किया कि उनकी राजनीति में “आधी आबादी” सबसे अहम है।
पहले चरण में ही तीन महिला मंत्रियों को शामिल किया गया—
- लेशी सिंह (JDU)
- रमा निषाद (BJP)
- श्रेयसी सिंह (BJP)
चौथी महिला मंत्री भी बन सकती थीं, यदि स्नेहलता ने अंतिम समय में अपने पुत्र को मंत्री बनाने का निर्णय न लिया होता। फिर भी यह नियुक्तियां स्पष्ट करती हैं कि महिलाओं को सत्ता में मजबूत भागीदारी देने का संकल्प कायम है।
राजपूत समाज को मिला सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व — चार मंत्री
NDA में कुल 33 राजपूत विधायक चुने गए, जिसका असर मंत्रिमंडल में साफ दिखा।
राजपूत नेताओं को चार मंत्री बनाकर यह संकेत दिया गया कि उनकी राजनीतिक ताकत का सम्मान किया गया है।
- संजय टाइगर
- श्रेयसी सिंह
- लेशी सिंह
- लोजपा से संजय सिंह
दलित समाज की मजबूत उपस्थिति — चार मंत्री
लगभग 18.6% आबादी वाले दलित वर्ग से भी NDA ने चार चेहरों को कैबिनेट में शामिल किया।
कारण भी स्पष्ट – NDA के 34 दलित विधायक चुनकर आए थे।
- अशोक चौधरी (JDU)
- लखींद्र पासवान (BJP)
- संतोष सुमन (HAM)
- संजय कुमार (LJP-R)**
दलित समाज को दी गई यह हिस्सेदारी उनके जनसंख्या समीकरण के अनुरूप है।
बीजेपी में युवाओं का दबदबा, पहली बार बने कई चेहरे
बीजेपी ने अनुभव और युवाशक्ति का संतुलन साधते हुए बेहद सोच-समझकर नए मंत्रियों को मौका दिया है।
पार्टी में अनुभवी नेताओं की पीढ़ी धीरे-धीरे पीछे हो रही है, इसलिए संगठन और सत्ता दोनों में संतुलन बनाने के लिए युवा नेतृत्व को आगे लाया गया है।
पहली बार मंत्री बने—
- श्रेयसी सिंह
- संजय टाइगर
- प्रमोद चंद्रवंशी
- रमा निषाद
- लखींद्र पासवान
यह सूची बताती है कि बीजेपी भविष्य की टीम तैयार कर रही है।
सवर्ण वोटबैंक को भी दिया संतुलित प्रतिनिधित्व
NDA ने सवर्ण समुदाय को भी स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है—
- राजपूत : 4 मंत्री
- भूमिहार : 2 मंत्री
- ब्राह्मण : 1 मंत्री
- कायस्थ : 1 मंत्री
यह संतुलन बताता है कि जीत में सभी सवर्ण समूहों की भूमिका को मान्यता दी गई है।
VIP को भी मिला राजनीतिक संदेश
NDA ने रमा निषाद और मदन सहनी को मंत्री बनाकर वीआईपी पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी को भी सियासी मैसेज दिया है।
अर्थ यह कि NDA अब VIP की “निषाद राजनीति” को बराबरी की टक्कर देने की तैयारी कर चुका है।
निष्कर्ष : NDA ने हर मोर्चे पर साधा संतुलन
- महिलाएं – सम्मान
- दलित – उचित भागीदारी
- सवर्ण – संतुलन
- युवा नेतृत्व – बढ़त
- सहयोगी दल – उचित प्रतिनिधित्व
नीतीश–NDA का यह मंत्रिमंडल सिर्फ सत्ता का गठन नहीं, बल्कि सामाजिक समीकरणों का अत्यंत सोच-समझकर किया गया सेटअप है, जो आने वाले समय की राजनीति को भी दिशा देगा।