
चंडीगढ़, संवाददाता: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार आत्महत्या मामले में सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। खंडपीठ ने चंडीगढ़ पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) की कार्रवाई को संतोषजनक मानते हुए कहा कि जांच में कोई देरी या लापरवाही नहीं हुई है। इस फैसले से सीबीआई को जांच सौंपने की चर्चाओं पर विराम लग गया।
🔹 एचसी ने SIT की जांच को माना संतोषजनक
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी की खंडपीठ ने कहा कि जांच में किसी प्रकार की कोताही नहीं हुई। इसलिए, इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपने का कोई कारण नहीं है।
यूटी प्रशासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित झांजी ने अदालत को बताया कि अब तक इस मामले में 14 लोगों को आरोपी बनाया गया है और 22 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। साथ ही, घटना से जुड़े पूरे सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखा गया है। एसआईटी ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट अदालत में सौंपी थी, जिसे न्यायालय ने स्वीकार किया।
🔹 भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर दायर जनहित याचिका
साथ ही, हरियाणा सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और बेहिसाब दौलत जमा करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इसके खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है।
याचिकाकर्ता बलजीत बेनिवाल का कहना है कि दिवंगत IPS अधिकारी से जुड़ी संपत्ति के मामलों की जांच में गड़बड़ियां हुई हैं और राज्य की एजेंसियां प्रभावशाली अधिकारियों के दबाव में सही ढंग से काम नहीं कर पा रही हैं। याचिकाकर्ता ने आईएएस अधिकारियों के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने की भी मांग की है।
🔹 निष्कर्ष:
हाईकोर्ट ने SIT की जांच पर भरोसा जताते हुए सीबीआई जांच को अस्वीकार कर दिया है। अब मामला अदालत में आगे चल रहे भ्रष्टाचार और संपत्ति से जुड़े मामलों पर केंद्रित हो गया है। प्रशासन और न्यायपालिका की निगरानी में जांच पूरी पारदर्शिता और नियमों के तहत संपन्न होने की संभावना है।