
फरीदाबाद/नई दिल्ली: दिल्ली लाल किला धमाके के बाद फरीदाबाद के धौज में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी सुर्खियों में आ गई है। यह यूनिवर्सिटी दिल्ली के ओखला में रजिस्टर्ड अल-फलाद चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा चलाई जाती है। मेडिकल का पहला बैच यहां 2019 में शुरू हुआ था।
12 साल का विस्तार और भूमि अधिग्रहण
- यूनिवर्सिटी की शुरुआत 1997 में इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी।
- 2014 में यूजीसी से मान्यता मिलने के बाद इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला।
- पिछले कुछ सालों में स्थानीय ग्रामीणों से जमीन खरीदकर कैंपस का विस्तार 30 एकड़ से बढ़ाकर 70 एकड़ से अधिक कर लिया गया।
- जनवरी 2025 में हरियाणा के पूर्व राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कैंपस में नए अस्पताल भवन का उद्घाटन किया।
विदेशी फंडिंग और शुल्क संरचना
- यूनिवर्सिटी को अरब देशों से डोनेशन और फंडिंग मिलती है। विदेशी फंडरेजर साल में एक बार कैंपस आते हैं।
- एमबीबीएस कोर्स की वार्षिक फीस 16 लाख रुपये है, जबकि एमडी प्रोग्राम की फीस एनाटॉमी में 2.5 लाख रुपये और पीडियाट्रिक्स में लगभग 30 लाख रुपये तक है।
- यूनिवर्सिटी समय-समय पर शॉर्ट-टर्म फ्री मेडिकल चेक-अप कैंप भी चलाती है।
स्टूडेंट्स और उद्देश्य
- यूनिवर्सिटी की स्थापना का मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यक और वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना था।
- यहां विशेष रूप से मेवात, कश्मीर और बिहार के छात्र पढ़ते हैं।
अल-फलाह अस्पताल का विकास
- 1997 में एक छोटी डिस्पेंसरी से शुरू हुआ अल-फलाह अस्पताल अब 800 से अधिक बिस्तरों वाली सुपर-स्पेशियलिटी सुविधा में बदल चुका है।
- अस्पताल मेडिसिन, पीडियाट्रिक्स, रेडियोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, डेंटिस्ट्री और श्वसन रोगों में आपातकालीन और विशेष देखभाल प्रदान करता है।
विशेष टिप्पणी: अल-फलाह यूनिवर्सिटी की तेज़ी से बढ़ती फंडिंग, जमीन अधिग्रहण और मेडिकल शिक्षा में विस्तार ने इसे फरीदाबाद में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण केंद्र बना दिया है। हालांकि, हाल ही में यूनिवर्सिटी के कुछ प्रोफेसरों के आतंकी मॉड्यूल में कथित शामिल होने की खबरों के बाद सुरक्षा एजेंसियां इसकी गतिविधियों पर नजर रख रही हैं।