
भोपाल: मध्य प्रदेश में शराब की खपत का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है। अब ठंडी बीयर राज्य में सबसे अधिक पसंद की जाने लगी है। देसी दारू और IMFL (इंडियन-मेड फॉरेन लिकर) के मुकाबले बीयर की बिक्री ने सभी को पीछे छोड़ दिया है।
बीयर का बढ़ता प्रेम
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बीयर की बिक्री IMFL से लगभग तीन गुना अधिक है। वहीं, देसी दारू की बिक्री IMFL से दोगुनी है, लेकिन बीयर से कम है। यह बदलाव पिछले पांच सालों में स्पष्ट रूप से देखा गया है। 2021-22 तक देसी दारू सबसे ज्यादा खपत होती थी, लेकिन अब बीयर लगातार बढ़ती खपत के साथ पहले स्थान पर आ गई है।
बीयर की बिक्री: 2020-21 में 840.77 लाख बल्क लीटर, 2021-22 में 962.42 लाख बल्क लीटर।
देसी दारू की बिक्री: 2020-21 में 899.16 लाख प्रूफ लीटर, 2024-25 में बढ़कर 1522.76 लाख प्रूफ लीटर।
IMFL की बिक्री: 2020-21 में 420.65 लाख प्रूफ लीटर, 2024-25 में बढ़कर 720.75 लाख प्रूफ लीटर।
राजस्व में बढ़ोतरी
डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 18 दिसंबर को बताया कि शराब की बिक्री में वृद्धि से सरकार के राजस्व में भी भारी इजाफा हुआ है। आबकारी विभाग का राजस्व 2020-21 में 9520.96 करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में बढ़कर 15254 करोड़ रुपये हो गया।
ट्रेंड में बदलाव
विशेषज्ञों के अनुसार, बीयर की लोकप्रियता में वृद्धि युवाओं की बदलती प्राथमिकताओं और सामाजिक प्रवृत्तियों का परिणाम है। ठंडी बीयर की खपत बढ़ने से न केवल देसी और विदेशी शराब की तुलना में बाजार में बदलाव आया है, बल्कि राज्य के राजस्व में भी नए आयाम जुड़े हैं।
विशेष: पिछले पांच वर्षों में शराब की खपत और राजस्व में यह बदलाव मध्य प्रदेश की आबकारी नीतियों की सफलता और उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव दोनों को दर्शाता है।