
तिरुवनंतपुरम: केरल हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि शादी के चार महीने बाद पैदा हुआ बच्चा भी पिता की संपत्ति में बराबर का वारिस होगा। यह फैसला उस मामले में आया है जहां एक महिला और उसके बच्चों ने 2012 में दिवंगत पिता की संपत्ति में हिस्सा मांगा था।
निचली अदालत ने बच्चे को पिता की संपत्ति में हकदार नहीं माना था, क्योंकि वह शादी के चार महीने बाद पैदा हुआ था। अदालत ने बच्चे को मृतक का वारिस नहीं माना और प्रॉपर्टी को तीन हिस्सों में बांट दिया।
हालांकि, महिला ने इस फैसले के खिलाफ केरल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दो जजों की बेंच ने सुनवाई के बाद निचली अदालत के फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 112 के तहत शादी के दौरान उत्पन्न बच्चे को वैध माना जाता है, और इसे केवल तब चुनौती दी जा सकती है जब साबित हो कि माता-पिता के बीच बच्चे के जन्म के समय कोई संबंध नहीं था।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बच्चे की वैधता उसके जन्म समय पर नहीं, बल्कि माता-पिता के रिश्ते पर निर्भर करती है। इस फैसले से ऐसे बच्चों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित होगी और संपत्ति के विवादों में स्पष्टता आएगी।