Wednesday, December 24

बिहार में ‘ऑन डिमांड’ नीलगाय शिकार अभियान: नवादा में किसानों की फसल बचाने के लिए 15 नीलगायों को किया गया ढेर

 

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नवादा।

बिहार के नवादा जिले में नीलगायों के बढ़ते आतंक से परेशान किसानों को राहत दिलाने के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है। जिले में पहली बार ‘ऑन डिमांड’ नीलगाय शिकार अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत महुली पंचायत क्षेत्र में विशेषज्ञ शूटरों की मदद से नीलगायों को मार गिराया गया, ताकि किसानों की फसलों को हो रहे भारी नुकसान को रोका जा सके।

 

जानकारी के अनुसार, महुली पंचायत में नीलगायों के झुंड लगातार खेतों में घुसकर फसलें नष्ट कर रहे थे। किसानों का कहना है कि हर साल उन्हें 50 लाख रुपये से अधिक का नुकसान झेलना पड़ता है। इसी को लेकर पंचायत के मुखिया विपिन सिंह ने पंचायती राज पदाधिकारी को लिखित आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की थी।

 

विशेषज्ञ शूटर की तैनाती, 10 से 15 नीलगायें मारी गईं

 

जिलाधिकारी के निर्देश पर नवादा वन विभाग ने मगध क्षेत्र के विशेषज्ञ शूटर मोहम्मद कायम अख्तर को शिकार अभियान के लिए अधिकृत किया। शूटर ने महुली पंचायत के विभिन्न खेतों में तलाशी अभियान चलाया, जहां 50 से अधिक नीलगायों का झुंड देखा गया। इसके बाद सटीक गोलीबारी करते हुए करीब 10 से 15 नीलगायों को मार गिराया गया।

मृत नीलगायों को मौके पर ही जमीन में दफना दिया गया। पूरी कार्रवाई को प्रशासनिक निगरानी में अंजाम दिया गया और इसे कैमरे में भी रिकॉर्ड किया गया है।

गैर-वन क्षेत्र में शिकार की अनुमति

 

पंचायती राज पदाधिकारियों ने बताया कि गैर-वन क्षेत्रों में नीलगाय और जंगली सूअरों के शिकार के लिए पंचायत के मुखिया को अधिकृत किया गया है। अब किसान लिखित आवेदन देकर अपने खेतों में फसल बचाने के लिए शूटर के माध्यम से नीलगाय या जंगली सूअरों का शिकार करवा सकते हैं।

 

ग्रामीणों को सतर्क रहने की अपील

 

शूटर मोहम्मद कायम अख्तर ने बताया कि नीलगायों की वजह से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने अन्य पंचायतों के मुखियाओं से भी अपील की कि जहां फसलें लगातार बर्बाद हो रही हैं, वहां प्रशासन से अनुमति लेकर इस तरह की कार्रवाई करवाई जा सकती है।

उन्होंने ग्रामीणों से आग्रह किया कि शिकार अभियान के दौरान घर से बाहर न निकलें, क्योंकि गोली की रेंज काफी दूर तक होती है और सुरक्षा बेहद जरूरी है।

 

नीलगाय शिकार अभियान को लेकर जहां किसानों ने राहत की सांस ली है, वहीं यह कदम बिहार में वन्यजीव नियंत्रण और कृषि सुरक्षा को लेकर नई बहस भी छेड़ रहा है।

 

 

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