
बिहार को विकास के नए पथ पर ले जाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक और बड़ा और दूरदर्शी संकल्प लिया है। राज्य सरकार अब एक्सप्रेसवे के माध्यम से न केवल प्रदेश की कनेक्टिविटी मजबूत करेगी, बल्कि अपनी आमदनी बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी ठोस कदम उठाएगी। इस पहल को उत्तर प्रदेश के सफल एक्सप्रेसवे मॉडल से प्रेरित माना जा रहा है, जहां बुनियादी ढांचे ने आर्थिक विकास को नई गति दी है।
केंद्र पर निर्भरता कम, खुद के दम पर एक्सप्रेसवे
नीतीश सरकार का लक्ष्य है कि बिहार अपने संसाधनों और योजनाओं के बल पर एक्सप्रेसवे नेटवर्क विकसित करे। इसके लिए एक स्वतंत्र एक्सप्रेसवे प्राधिकरण (Authority) गठित करने की योजना है, जिसे परियोजना की पूरी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। भूमि अधिग्रहण से लेकर निर्माण, वित्तीय प्रबंधन और संचालन तक सभी कार्य इसी प्राधिकरण के माध्यम से किए जाएंगे।
लोन से होगा निर्माण, सरकार बनेगी गारंटर
सूत्रों के अनुसार, एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए आवश्यक धनराशि विभिन्न वित्तीय संस्थानों से ऋण लेकर जुटाई जाएगी। इस ऋण के लिए राज्य सरकार स्वयं गारंटर की भूमिका निभाएगी, जिससे परियोजनाओं को आसानी से वित्तीय सहायता मिल सके। सरकार का स्पष्ट मानना है कि इससे विकास कार्यों में तेजी आएगी और केंद्र पर निर्भरता भी घटेगी।
टोल टैक्स से होगी भरपाई, सरकार पर नहीं पड़ेगा बोझ
एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद उन पर टोल टैक्स वसूला जाएगा। इसी टोल से लोन की भरपाई की जाएगी, जिससे राज्य सरकार के खजाने पर सीधा वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। यह मॉडल बिहार को बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
रोजगार और व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
एक्सप्रेसवे परियोजनाओं से निर्माण के दौरान स्थानीय लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा। इससे उनकी दैनिक आमदनी बढ़ेगी और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। एक्सप्रेसवे के पूरा होने के बाद पटना, पूर्णिया, रक्सौल जैसे प्रमुख शहरों के बीच तेज और सुगम कनेक्टिविटी स्थापित होगी, जिससे व्यापार, उद्योग और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
2027 तक कई रूट पूरे करने का लक्ष्य
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि कई प्रमुख एक्सप्रेसवे रूट्स का निर्माण कार्य वर्ष 2027 तक पूरा कर लिया जाए। सरकार का मानना है कि यह योजना बिहार की विकास गाथा को नई दिशा देगी और प्रदेश को आर्थिक रूप से अधिक मजबूत बनाएगी।
एक्सप्रेसवे के जरिए नीतीश सरकार विकास, रोजगार और राजस्व—तीनों मोर्चों पर बदलाव की कहानी लिखने की तैयारी में है, जो आने वाले वर्षों में बिहार की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल सकती है।