
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग का गठन कर दिया है और अब लाखों केंद्रीय कर्मचारियों व पेंशनर्स की निगाहें इसकी सिफारिशों पर टिकी हैं। मौजूदा 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। सामान्य तौर पर नया वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू माना जाता है, हालांकि सरकार की ओर से अभी तक एरियर की तारीख को लेकर कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है।
वित्त मंत्रालय ने नवंबर 2025 में 8वें वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 18 महीने का समय दिया है। जानकारों का मानना है कि रिपोर्ट आने के बाद इसे लागू करने में 6 महीने तक का अतिरिक्त समय लग सकता है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर वेतन आयोग लागू होने में देरी हुई, तो क्या कर्मचारियों और पेंशनर्स का पैसा डूब जाएगा?
कर्मचारियों को कौन-कौन से भत्ते मिलते हैं?
आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक, अधिकांश केंद्रीय कर्मचारियों को ये प्रमुख भत्ते मिलते हैं—
- महंगाई भत्ता (DA)
- हाउस रेंट अलाउंस (HRA)
- ट्रांसपोर्ट अलाउंस (TA)
- यूनिफॉर्म अलाउंस
- बच्चों की शिक्षा भत्ता (CEA)
इनमें से TA, यूनिफॉर्म और CEA जैसे भत्ते फिक्स होते हैं और ये सीधे तौर पर कर्मचारी की बेसिक सैलरी पर निर्भर नहीं करते।
किन भत्तों का एरियर नहीं मिलता?
वेतन आयोग लागू होने में देरी का सबसे ज्यादा असर भत्तों के एरियर पर पड़ता है।
महंगाई भत्ता (DA):
कर्मचारियों को DA का अलग से एरियर नहीं मिलता। वेतन आयोग के समय DA को बेसिक पे में समायोजित कर दिया जाता है, जिसे फिटमेंट फैक्टर कहा जाता है। नई बेसिक सैलरी तय होते ही DA अपने आप बढ़ जाता है, इसलिए DA का बकाया नहीं बनता।
हाउस रेंट अलाउंस (HRA):
ऑल इंडिया NPS एंप्लॉयीज फेडरेशन के अनुसार, नए वेतन आयोग में HRA का भी एरियर नहीं दिया जाता। यदि 8वें वेतन आयोग में देरी होती है, तो कर्मचारी को नई बढ़ी हुई बेसिक सैलरी के हिसाब से मिलने वाला HRA नहीं मिल पाएगा। इससे कर्मचारियों को कुछ हजार रुपये से लेकर लाखों रुपये तक का नुकसान हो सकता है।
सरकार HRA शहर की श्रेणी के आधार पर देती है—
- X कैटेगरी शहर
- Y कैटेगरी शहर
- Z कैटेगरी शहर
बड़े शहरों में रहने वाले कर्मचारियों पर देरी का असर ज्यादा पड़ेगा।
तो क्या कर्मचारियों का पैसा डूब जाएगा?
विशेषज्ञों का कहना है कि वेतन आयोग में देरी होने पर मूल वेतन (बेसिक पे) का एरियर तो आमतौर पर मिल जाता है, लेकिन भत्तों का एरियर नहीं मिलता। ऐसे में देरी का सीधा नुकसान कर्मचारियों की जेब पर पड़ता है, खासकर HRA जैसे बड़े भत्तों में।
कर्मचारियों की बढ़ी चिंता
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि महंगाई लगातार बढ़ रही है और अगर 8वें वेतन आयोग को समय पर लागू नहीं किया गया, तो कर्मचारियों को वास्तविक आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। अब सबकी नजर सरकार के अगले कदम और आधिकारिक घोषणा पर टिकी है।