
गाजियाबाद: गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस में रिश्वत लेने के आरोपों का मामला अब पूरी तरह पलट गया है। एक एसीपी पर आरोप लगाने वाले रहस्यमयी ‘रामलाल’ नाम के अज्ञात शिकायतकर्ता की भेजी गई चिट्ठी झूठी साबित हुई। जांच में ट्रैफिक विभाग के 24 पुलिसकर्मियों ने किसी भी रिश्वत की बात से साफ इंकार किया। अब पुलिस उस व्यक्ति की तलाश में जुटी है जिसने फर्जी शिकायत भेजकर विभाग की साख को दांव पर लगाया।
🔹 क्या था मामला
कुछ सप्ताह पहले रामलाल नाम से भेजे गए शिकायती पत्र में दावा किया गया कि गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस के एसीपी रैंक अधिकारी काम की रिपोर्ट लिखने और हटाने के नाम पर पुलिसकर्मियों से 5–5 हजार रुपये वसूलते हैं। पत्र में यह भी कहा गया कि ट्रैफिक पुलिसकर्मी ड्यूटी पॉइंट पर अनुपस्थित पाए जाने पर सस्पेंड करने या लाइन हाजिर करने की धमकी दी जाती है।
🔹 जांच में आरोप फर्जी पाए गए
- अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (यातायात) आलोक प्रियदर्शी ने मामले की जांच कराई।
- ट्रैफिक पुलिस के 24 कर्मियों से पूछताछ की गई। सभी ने रिश्वत देने या मांगने की बात से इंकार किया।
- विभागीय रिकॉर्ड में ‘रामलाल’ नाम का कोई कर्मचारी नहीं पाया गया।
- जांच में किसी अधिकारी द्वारा धन की मांग करने के कोई सबूत नहीं मिले।
🔹 अब क्या होगा
- जांच रिपोर्ट लखनऊ मुख्यालय को भेजी जा रही है।
- पुलिस अज्ञात शिकायतकर्ता रामलाल की तलाश में है। माना जा रहा है कि यह फर्जी शिकायत दुर्भावना या आंतरिक रंजिश के चलते की गई थी।
🔹 ट्रैफिक विभाग पर असर
गाजियाबाद में ट्रैफिक ड्यूटी को प्राइम पोस्टिंग माना जाता है। जिले में करीब 1100 ट्रैफिक कर्मी तैनात हैं, जिनमें डीसीपी, एसीपी, इंस्पेक्टर, एसआई और सिपाही शामिल हैं। इस तरह की झूठी शिकायत से विभाग की साख पर सवाल उठना स्वाभाविक था।