
पटना। बिहार सरकार ने पर्चाधारियों की वर्षों पुरानी समस्या के समाधान की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए ‘ऑपरेशन भूमि दखल देहानी’ की शुरुआत की है। इस विशेष अभियान के तहत अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) परिवारों को आवंटित और बंदोबस्त की गई भूमि पर दखल-कब्जा सुनिश्चित किया जाएगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि कमजोर वर्गों की भूमि पर अवैध कब्जा अब किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में एससी-एसटी परिवारों को दी गई सरकारी, अधिशेष, भूदान अथवा क्रय की गई भूमि से यदि किसी निजी व्यक्ति द्वारा बेदखल किया जाता है, तो इसे गंभीर और दंडनीय अपराध माना जाएगा। अभियान के तहत पर्चाधारियों को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए त्वरित और संवेदनशील कार्रवाई की जाएगी।
शत-प्रतिशत दखल देहानी का लक्ष्य
सरकार ने इस अभियान के तहत शत-प्रतिशत दखल देहानी का लक्ष्य तय किया है, ताकि एक भी पात्र परिवार अपनी आवंटित भूमि से वंचित न रहे। भूमि विवादों के निपटारे को अब प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।
संवैधानिक और कानूनी संरक्षण लागू
सरकार ने स्पष्ट किया है कि संविधान के अनुच्छेद 46 के तहत एससी-एसटी वर्ग के हितों की रक्षा राज्य का दायित्व है। इसके अलावा अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2015 की धारा 3(एफ) के तहत भूमि पर अवैध कब्जा दंडनीय अपराध है। इन प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाएगा।
मंत्री विजय कुमार सिन्हा का बयान
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि गरीब और वंचित परिवारों को उनकी आवंटित भूमि पर अधिकार दिलाना डबल इंजन सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, “यह केवल प्रशासनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और संवैधानिक दायित्व का निर्वहन है। राज्य सरकार हर हाल में पर्चाधारी परिवारों के साथ खड़ी है।”
विभागीय सचिव का दावा
विभाग के सचिव जय सिंह ने बताया कि ऑपरेशन भूमि दखल देहानी के तहत सभी पात्र एससी-एसटी पर्चाधारियों को उनकी भूमि पर कब्जा दिलाने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की अवैध बेदखली को गंभीर अपराध मानते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।