Monday, December 15

भारत-रूस व्यापार: 300 प्रोडक्ट्स की तैयारी, ट्रंप की टेंशन बढ़ने वाली

नई दिल्ली: भारत और रूस के बीच आर्थिक नजदीकी लगातार बढ़ रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के बाद भारत ने रूस जैसे नए बाजारों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। अब भारत 300 उच्च-संभावना वाले प्रोडक्ट्स रूस को निर्यात करने की तैयारी कर रहा है।

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इन उत्पादों में इंजीनियरिंग सामान, दवाइयां, कृषि उत्पाद और रसायन प्रमुख हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह कदम साल 2030 तक 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

भारत का निर्यात और रूस की आयात क्षमता
वर्तमान में भारत केवल 1.7 अरब डॉलर का निर्यात रूस को करता है, जबकि रूस इन श्रेणियों में कुल 37.4 अरब डॉलर का आयात करता है। यह अंतर दर्शाता है कि भारतीय निर्यातकों के लिए यहां व्यापार बढ़ाने की कितनी बड़ी संभावनाएं हैं। निर्यात बढ़ने से दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा भी कम होगा, जो वर्तमान में 59 अरब डॉलर है।

कच्चा तेल और रूस का महत्व
रूस से भारत का आयात पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़ा है। 2020 में यह 5.94 अरब डॉलर था, जो 2024 में बढ़कर 64.24 अरब डॉलर हो गया। इसमें सबसे बड़ा योगदान कच्चे तेल का है, जिसका आयात 2 अरब डॉलर से बढ़कर 57 अरब डॉलर हो गया। अब भारत अपने कुल कच्चे तेल आयात का लगभग 21 प्रतिशत रूस से करता है।

कौन से क्षेत्र हैं अवसरपूर्ण?

  • कृषि उत्पाद: भारत वर्तमान में 452 मिलियन डॉलर का कृषि उत्पाद रूस को निर्यात करता है, जबकि रूस की कुल मांग 3.9 अरब डॉलर है।
  • इंजीनियरिंग सामान: भारत केवल 90 मिलियन डॉलर का निर्यात करता है, जबकि रूस की मांग 2.7 अरब डॉलर है।
  • रसायन और प्लास्टिक: भारत का निर्यात 135 मिलियन डॉलर है, जबकि रूस की आयात क्षमता 2.06 अरब डॉलर है।
  • फार्मास्युटिकल्स: भारत रूस को 546 मिलियन डॉलर के उत्पाद निर्यात करता है, जबकि रूस का कुल आयात 9.7 अरब डॉलर है।

इनके अलावा कपड़ा, परिधान, चमड़े के उत्पाद, हस्तशिल्प, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और हल्की इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में भी भारतीय कंपनियों के लिए भारी अवसर हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ा उत्पादों में रूस की बाजार हिस्सेदारी 1% से भी कम है, लेकिन इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है।

निष्कर्ष:
भारत-रूस व्यापार के इस नए अध्याय में भारतीय निर्यातकों के लिए अनगिनत अवसर हैं। रूस की उपभोक्ता आबादी बड़ी और प्रतिस्पर्धा कम होने के कारण भारत की एक्सपोर्टिंग संभावनाएं मजबूत हैं। ऐसे में ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के बीच भारत का नया रणनीतिक कदम वैश्विक व्यापार पर महत्वपूर्ण असर डाल सकता है।

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