
गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने मंगलवार को कहा कि असम में मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ रही है और इस समुदाय के मतदाता किसी भी वित्तीय प्रोत्साहन के बावजूद उन्हें वोट नहीं देंगे। उन्होंने यह टिप्पणी बिहार में महिलाओं को 10,000 रुपये देने वाली योजना के संदर्भ में की थी।
सीएम हिमंता ने कहा, “चाहे मैं 10 हजार रुपये दूँ या 1 लाख रुपये, कोई भी मुसलमान मुझे वोट नहीं देगा। असम के चुनाव में मतदान सरकारी योजनाओं या वित्तीय लाभ से नहीं, बल्कि विचारधारा और पहचान से प्रभावित होता है।”
उन्होंने आगे कहा कि असम में मूल आबादी जनसांख्यिकीय दबाव के कारण अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है। उन्होंने अनुमान लगाया कि वर्ष 2021 में मुस्लिम आबादी लगभग 38 प्रतिशत थी, जो लगातार वृद्धि के बाद 2027 तक 40 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। अगर यह 50 प्रतिशत से ऊपर चली गई तो अन्य समुदायों के अस्तित्व पर खतरा हो सकता है।
हालांकि, सीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके राज्य में मिया मुसलमान और महिलाएं उनके साथ अच्छे संबंध में हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्य में विजयी रहेगी, चाहे कुछ समुदाय किसी अन्य दल का समर्थन क्यों न करें।
सरमा ने यह भी जोड़ा कि सिर्फ योजनाओं की पेशकश से वोट अपने आप नहीं मिलते, बल्कि यह विचार और पहचान के आधार पर तय होते हैं।