
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो इस समय अपने सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है। नए FDTL नियमों के तहत तैयारी न होने के कारण हजारों यात्री एयरपोर्ट पर घंटों फंसे रहे। इस संकट, एयरलाइंस की नीतियों और हवाई किराए में बढ़ोतरी को लेकर DGCA के रिटायर्ड जॉइंट डीजी जे. एस. रावत ने अपने विचार साझा किए।
संकट के कारण:
रावत ने कहा कि यदि यह संकट ऑपरेशंस से जुड़ा होता तो इसके संकेत पहले दिखते, जैसे पायलट हड़ताल या तकनीकी खराबी। “लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। यह अचानक हुई घटना थी। इंडिगो को एकाधिकार कहना उचित नहीं है, क्योंकि देश में हमेशा नई एयरलाइंस आती और बंद होती रही हैं। आबादी और मांग बढ़ने से इंडिगो का विस्तार हुआ।”
नई एयरलाइंस की जरूरत:
रावत के अनुसार, देश में और एयरलाइंस की जरूरत है। लेकिन नई कंपनियों को खुद को प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना होगा। एयरलाइन व्यवसाय स्थापित करने के लिए पर्याप्त पूंजी और मजबूत नीतियों की जरूरत होती है।
हवाई किराए का बढ़ना:
DGCA के रिटायर्ड जॉइंट डीजी ने स्पष्ट किया कि हवाई किराया मांग और आपूर्ति के आधार पर तय होता है। “जैसे रेलवे ने कुछ ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर सिस्टम अपनाया है, वैसे ही एयरलाइंस में किराया मार्केट पर निर्भर करता है।”
DGCA में सुधार की आवश्यकता:
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे इंडस्ट्री का विस्तार होगा, DGCA को अपनी मैनपावर और निगरानी ढांचे का विस्तार करना होगा। एयरलाइंस की सेफ्टी और संचालन की जांच के लिए पर्याप्त कर्मियों की जरूरत होगी।
यात्रियों के हित में सुधार:
रावत ने जोर दिया कि एयरलाइंस की सबसे बड़ी जिम्मेदारी यात्रियों के हितों की सुरक्षा है। “कंपनियां चाहे जितनी व्यवस्था करें, अगर यात्री संतुष्ट नहीं होंगे, तो कंपनी की साख मजबूत नहीं होगी। मौजूदा कानून पर्याप्त नहीं हैं और जो हैं, उनका पालन भी पूरी तरह नहीं हो रहा। यात्रियों के हितों के अनुरूप सख्त और प्रभावी कानून बनना चाहिए।”
भविष्य के सुधार:
भविष्य में इंडिगो जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए एयरलाइन उद्योग को सख्त नियामक प्रक्रियाओं और चरणबद्ध नियमों का पालन करना होगा। रावत का कहना है कि पायलटों की थकान और सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। “उम्मीद है कि सभी स्टेक होल्डर इस संकट से सबक लेंगे और एयरलाइंस अधिक पैसेंजर फ्रेंडली बनेंगी।”
निष्कर्ष:
इंडिगो संकट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यात्री केंद्रित कानून और एयरलाइंस की पारदर्शिता ही भविष्य में हवाई यात्रा को सुरक्षित और भरोसेमंद बना सकती है।