
जयपुर।
तेजी से बढ़ती आबादी और सीमित ट्रैफिक पुलिस बल के कारण जाम की समस्या से जूझ रहे जयपुर शहर को जल्द ही बड़ी राहत मिल सकती है। दिल्ली की तर्ज पर जयपुर में भी ट्रैफिक मार्शल तैनात करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो खासकर पीक आवर्स में यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने में बड़ी मदद मिलेगी।
पिछले पंद्रह वर्षों में जयपुर की आबादी कई गुना बढ़ी है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस की संख्या लगभग स्थिर बनी हुई है। नतीजतन, सुबह-शाम के व्यस्त समय में शहर के प्रमुख चौराहों और सड़कों पर जाम आम समस्या बन गया है। अब तक ट्रैफिक वार्डन बिना किसी मानदेय के स्वेच्छा से सहयोग करते रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या और उपलब्धता दोनों ही सीमित हैं।
पुलिस कमिश्नर का नया प्लान
जयपुर पुलिस कमिश्नर सचिन मित्तल ने यातायात व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ट्रैफिक मार्शल की नियुक्ति का विस्तृत प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है। योजना के तहत स्थानीय लोगों को ट्रैफिक मार्शल के रूप में जोड़ा जाएगा, जिससे न सिर्फ ट्रैफिक नियंत्रण बेहतर होगा बल्कि नागरिकों की भागीदारी भी बढ़ेगी।
मानदेय और ड्यूटी का प्रस्ताव
प्रस्ताव के अनुसार, ट्रैफिक मार्शल को प्रतिदिन चार घंटे की ड्यूटी के बदले 6,000 रुपये मासिक मानदेय दिया जाएगा। इससे पहले ट्रैफिक वार्डन बिना मानदेय सेवाएं देते थे, लेकिन नए मॉडल में प्रोत्साहन के साथ जिम्मेदारी तय की जाएगी।
चयन प्रक्रिया और योग्यता
ट्रैफिक मार्शल बनने के लिए आवेदक का कम से कम 10वीं पास होना अनिवार्य होगा और उसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए। आवेदन के दौरान चरित्र प्रमाण पत्र लिया जाएगा और इंटरव्यू के आधार पर चयन किया जाएगा। चयनित अभ्यर्थियों को यातायात नियमों और व्यवहारिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
ड्यूटी के दौरान पुलिस जैसी पहचान
ड्यूटी के समय ट्रैफिक मार्शल भी पुलिसकर्मियों की तरह जैकेट और कैप पहनेंगे, ताकि आम जनता उन्हें आसानी से पहचान सके। उनकी निगरानी के लिए एसीपी स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया जाएगा।
क्या होंगे फायदे
विशेषज्ञों का मानना है कि इस व्यवस्था से पीक आवर्स में जाम कम होगा, ट्रैफिक पुलिस पर बोझ घटेगा और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। यदि सरकार इस प्रस्ताव को हरी झंडी देती है, तो जयपुर की ट्रैफिक व्यवस्था में यह एक बड़ा और प्रभावी बदलाव साबित हो सकता है।