
नई दिल्ली: भारत आत्मनिर्भर तकनीक की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ा रहा है। इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के प्रमुख अमितेश कुमार सिन्हा ने सुपरकंप्यूटिंग इंडिया 2025 सम्मेलन में घोषणा की कि साल 2030 तक भारत पूरी तरह से अपना देसी सुपरकंप्यूटर तैयार कर लेगा। इसके दो साल बाद यानी 2032 तक यह कंप्यूटर मार्केट में भी उपलब्ध हो जाएगा।
देश का सुपरकंप्यूटर: पूरी तैयारी
अमितेश सिन्हा के अनुसार, भारत अब सिर्फ मोबाइल या टीवी नहीं, बल्कि अत्यधिक ताकतवर कंप्यूटर भी खुद बनाना चाहता है। वर्तमान में हमारे सुपरकंप्यूटर में 50% से अधिक पार्ट्स भारत में बनाए जाते हैं। अगले दस साल में यह प्रतिशत 70% से ऊपर हो जाएगा। सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट निर्माण, चिप पैकिंग और बड़ी फैक्ट्रियों के लिए दस बड़े प्रोजेक्ट मंजूर किए हैं।
सुपरकंप्यूटर से आम लोगों को क्या फायदा होगा?
इस तकनीक से भारत में कई क्षेत्रों में क्रांति आ सकती है:
- मौसम की सटीक भविष्यवाणी, जिससे बाढ़ और तूफान से जान-माल की सुरक्षा।
- नई दवाइयां और वैक्सीन जल्दी विकसित करना।
- मिसाइल और लड़ाकू विमान जैसे हथियार गोपनीय और तेज।
- लाखों युवाओं के लिए हाई-टेक रोजगार।
- बिजली, पानी और ट्रैफिक की बेहतर योजना।
- किसानों को सही फसल और खाद की सलाह।
सबसे बड़ी बात, भारत तकनीक में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनेगा।
नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन 2.0
भारत अब NSM 2.0 के तहत अपना खुद का CPU, GPU और AI एक्सेलरेटर बनाएगा। सरकार ने रिसर्च संस्थानों, कॉलेजों और स्टार्टअप्स को 38,000 से अधिक GPU वितरित किए हैं। भारतीय कंपनियां जैसे मोसचिप AI और सुपरकंप्यूटिंग के लिए चिप बनाने में जुटी हैं।
भारत की वैश्विक ताकत बढ़ी
पिछले दस साल में भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स सामान निर्माण 6 गुना बढ़ा, निर्यात 8 गुना बढ़ा। मोबाइल निर्माण में 28 गुना वृद्धि और विदेशों में भेजने में 127 गुना वृद्धि हुई है। सिन्हा ने कहा कि पहले हम सिर्फ सामान जोड़ते थे, अब पूरा वैल्यू चेन भारत में तैयार होता है।
दुनिया के साथ साझेदारी
सिन्हा ने कहा कि भारत सेमीकंडक्टर, क्वांटम और AI के क्षेत्र में दुनिया के साथ सहयोग करना चाहता है। हमारा लक्ष्य केवल सामान बनाने तक सीमित नहीं है; हम दुनिया के सबसे ताकतवर कंप्यूटर खुद बनाएंगे।
निष्कर्ष:
2030 तक भारत का देसी सुपरकंप्यूटर देश और आम जनता के लिए गेमचेंजर साबित होगा। तकनीक, रोजगार, विज्ञान और सुरक्षा—सब क्षेत्रों में इसका लाभ मिलेगा और भारत पूरी तरह आत्मनिर्भर बन सकेगा।