
नई दिल्ली: जापान में सोमवार को आए 7.5 तीव्रता के भूकंप ने उत्तरी तट और होक्काइडो क्षेत्र में भारी तबाही मचाई है। सड़कों, बिजली घरों और मकानों को नुकसान पहुंचा है, जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए। जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने उत्तरी तट के पास महाभूकंप की चेतावनी जारी की है और अगले सात दिनों तक 8 या उससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप की संभावना जताई है।
सुनामी की चेतावनी:
भूकंप होक्काइडो और उत्तर-पूर्वी जापान के तटों के पास खाई के पास आया, जो पैसिफिक प्लेट के होंशू मुख्य द्वीप के नीचे खिसकने से उत्पन्न होता है। भूकंप के झटकों के बाद 3 मीटर तक ऊंची सुनामी लहरों की चेतावनी दी गई। इवाते प्रीफेक्चर में सुनामी की लहरें 70 सेंटीमीटर तक पहुंचीं। जापान के प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने प्रभावित क्षेत्रों के लोगों से अलर्ट रहने और आवश्यक सामग्री जुटाने की सलाह दी।
भूकंप से रूस और अलास्का भी प्रभावित हो सकते हैं:
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्तरी जापान के पास आने वाला महाभूकंप उत्तर-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में सुनामी और झटकों का खतरा पैदा करेगा। इससे जापान, रूस के सुदूर पूर्व और अलास्का के कुछ हिस्से प्रभावित हो सकते हैं।
भारत पर असर नहीं:
हालांकि जापान ने महाभूकंप का अलर्ट जारी किया है, लेकिन इससे भारतीय तटों पर किसी भी तरह के भूकंप या सुनामी का खतरा नहीं है। भारत का मुख्य सुनामी जोखिम क्षेत्र सुंडा ट्रेंच और अरब सागर हैं। 2004 में सुमात्रा भूकंप के बाद आई सुनामी ही भारत में अब तक की सबसे भीषण घटना थी।
जापान में भूकंप क्यों आते हैं:
जापान पैसिफिक प्लेट के सबडक्शन जोन पर स्थित है। यह प्लेट उत्तरी अमेरिकी और ओखोत्स्क प्लेट के नीचे खिसकती है, जिससे दबाव जमा होता है और कभी-कभी बड़े मेगाथ्रस्ट भूकंप के रूप में बाहर आता है। 2011 में आए 9.0 तीव्रता वाले भूकंप ने विनाशकारी सुनामी और फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र को भी प्रभावित किया था।
निष्कर्ष:
जापान का यह अलर्ट भारत के लिए सीखने का अवसर है कि कैसे भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयारी और चेतावनी प्रणाली विकसित की जाए। फिलहाल भारतीय तटों पर किसी खतरे का संकेत नहीं है।