
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फेमा उल्लंघन के आरोप में अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के 13 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है। इन खातों में करीब 55 करोड़ रुपये जमा हैं। ईडी का आरोप है कि कंपनी ने एनएचएआई से प्राप्त सार्वजनिक धन का गलत इस्तेमाल कर उसे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भेजा। यह मामला 2010 में मिले जेआर टोल रोड (जयपुर-रींगस राजमार्ग) के निर्माण ठेके से जुड़ा है।
ईडी के अनुसार, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने अपनी विशेष प्रयोजन इकाइयों (एसपीवी) के माध्यम से परियोजना निधि का दुरुपयोग किया और इसे अवैध रूप से यूएई स्थानांतरित किया। जांच में यह भी सामने आया कि इस प्रक्रिया में मुंबई की फर्जी कंपनियों और उनके फर्जी निदेशकों का इस्तेमाल किया गया। इन फर्जी कंपनियों के नेटवर्क के जरिए पैसा अन्य फर्जी कंपनियों तक पहुंचाया गया। इस पूरे लेन-देन को पॉलिश और अनपॉलिश हीरे आयात करने के बहाने अंजाम दिया गया, जबकि न तो कोई माल आया और न ही कोई वैध दस्तावेज उपलब्ध था।
ईडी ने बताया कि जिन फर्जी संस्थाओं के जरिए यह रकम भेजी गई, वे 600 करोड़ रुपये से अधिक के अंतरराष्ट्रीय हवाला लेन-देन में शामिल थीं। इस कथित हेराफेरी के कारण प्रभावित एसपीवी गंभीर वित्तीय संकट में आ गई और इसके चलते बैंकों से लिए गए कर्ज एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) में बदल गए। इससे कर्जदाताओं को भारी नुकसान हुआ और सार्वजनिक वित्तीय हितों को भी खतरा पैदा हुआ।
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने शेयर बाजार को सूचना दी कि ईडी ने 77.86 करोड़ रुपये के बैंक खातों पर रोक लगाई है, जो फेमा उल्लंघन से संबंधित है।
ईडी ने पिछले महीने अनिल अंबानी को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह पेश नहीं हुए। उनके प्रवक्ता ने कहा कि यह पूरी तरह से घरेलू अनुबंध था, जिसमें किसी भी विदेशी मुद्रा का लेन-देन शामिल नहीं था। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि जेआर टोल रोड का निर्माण पूरा हो चुका है और 2021 से यह एनएचएआई के अधीन है।
इस कार्रवाई के बाद अनिल अंबानी समूह की छवि पर सवाल उठने लगे हैं, और यह मामला भारत में सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और अंतरराष्ट्रीय हवाला मामलों में एक बड़ा प्रकरण बनकर उभरा है।