
भारतीय छात्रों के बीच विदेश में पढ़ाई को लेकर वर्षों से जबरदस्त आकर्षण देखा जाता रहा है। लाखों रुपये के एजुकेशन लोन लेकर युवा अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने जाते रहे हैं। यहां तक कि किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, फिलीपींस और जॉर्जिया जैसे कम पॉपुलर देशों में भी भारतीय छात्रों ने बड़े पैमाने पर प्रवेश लिया। यह ट्रेंड विदेश में पढ़ाई की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता रहा है।
लेकिन अब तस्वीर बदलती नजर आ रही है। सरकार के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार विदेश में पढ़ाई का क्रेज लगातार कम हो रहा है। संसद के शीत सत्र के दौरान विदेश मंत्रालय द्वारा पेश किए गए डेटा के मुताबिक भारतीय छात्रों की विदेश जाने की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।
कितने भारतीय पढ़ रहे हैं विदेश में?
विदेश मंत्रालय ने बताया कि दुनिया के 153 देशों में कुल 18,82,318 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।
इनमें—
- 12,54,013 छात्र कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे हैं
- 6,28,305 छात्र पहली बार जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक स्कूल-लेवल पर पढ़ रहे हैं
पिछले वर्ष मंत्रालय ने बताया था कि 13.3 लाख छात्र कॉलेज-यूनिवर्सिटी लेवल की पढ़ाई के लिए विदेश गए थे। यानी 2025 में इस संख्या में गिरावट दर्ज हुई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, वीजा नियमों का कड़ा होना इसकी सबसे बड़ी वजहों में से एक है।
कहां सबसे ज्यादा पढ़ रहे भारतीय छात्र?
2025 में भारतीय छात्रों के लिए तीन देश सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं—
- कनाडा : 4,27,085 छात्र
- अमेरिका : 2,55,447 छात्र
- यूएई : 2,53,832 छात्र
2022 से 2024 के बीच विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या में भारी वृद्धि हुई थी, लेकिन 2025 में पहली बार यह ट्रेंड नीचे की ओर दिखाई दिया है।
क्यों कम हो रहा विदेश में पढ़ाई का क्रेज?
- वीजा नियमों का सख्त होना
- बढ़ती महंगाई और लागत
- भारतीय यूनिवर्सिटीज़ में बेहतर विकल्प
- विदेश में अस्थायी नौकरियों और वर्क परमिट से जुड़े नियमों का बदलना
साफ है कि भारतीय छात्रों की पसंद तेजी से बदल रही है और विदेशी शिक्षा का आकर्षण पहले जैसा नहीं रह गया है। अब आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये गिरावट आगे भी जारी रहती है या परिस्थितियाँ बदलने पर यह रुझान फिर से ऊपर जाता है।
