
पटना। बिहार के चर्चित सृजन घोटाले में नीतीश सरकार ने पहली बार कड़ा कदम उठाते हुए पूर्व पीसीएस अधिकारी और पूर्व बीडीओ चंद्रशेखर झा की पेंशन जब्त कर ली है। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही सरकार की यह सख्त कार्रवाई पूरे प्रशासनिक तंत्र में संदेश देती है कि सेवा निवृत्ति के बाद भी भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जाएगा।
कौन हैं चंद्रशेखर झा?
घोटाले के समय चंद्रशेखर झा भागलपुर के पीरपैंती प्रखंड के बीडीओ थे। उन पर आरोप है कि अपनी सेवा अवधि के दौरान विभिन्न सरकारी मदों में मिले बजट को जालसाज़ी और मिलीभगत से 4 करोड़ 52 लाख रुपये से अधिक की राशि सृजन महिला विकास सहयोग समिति, सबौर के खाते में ट्रांसफर करा दी।
2018 में CBI ने केस दर्ज किया था, और लंबे समय की जांच के बाद CBI की चार्जशीट ही इस कार्रवाई का आधार बनी।
कैसे उजागर हुआ मामला?
सृजन घोटाला सामने आने के बाद वर्ष 2024 में कानून विभाग ने अभियोजन की स्वीकृति दे दी थी।
- इस साल 12 जुलाई को जिलाधिकारी ने चंद्रशेखर झा के खिलाफ विभाग को आरोप-पत्र भेजा।
- सामान्य प्रशासन विभाग ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा।
- जवाब असंतोषजनक मिलने पर पेंशन जब्त करने का आदेश जारी कर दिया गया।
यह आदेश CBI, डीएम और झा के धनबाद स्थित पते पर भी भेजा गया है।
पत्नी के नाम संपत्ति खरीद में भी घोटाले के पैसे का इस्तेमाल?
जांच में यह भी सामने आया कि चंद्रशेखर झा ने अपनी पत्नी बबीता झा के नाम गाजियाबाद के वसुंधरा में एक फ्लैट बुक कराया था, जिसके भुगतान में सृजन से जुड़े लेन-देन की कड़ियाँ मिली हैं। उल्लेखनीय है कि सृजन को बैंकिंग कार्यों की कोई वैध अनुमति नहीं थी, फिर भी करोड़ों की सरकारी राशि वहां भेजी गई।
नीतीश कुमार ने 2017 में किया था बड़ा खुलासा
यह वही घोटाला है जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017 में खुद उजागर किया था। इसके बाद से जांच लगातार आगे बढ़ रही है और अब पहली बार इतनी बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की गई है।
सरकार का सख्त संदेश: भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस
सामान्य प्रशासन विभाग की यह कार्रवाई स्पष्ट करती है कि—
- सेवानिवृत्ति के बाद भी भ्रष्टाचार पर किसी तरह की ढिलाई नहीं दी जाएगी।
- CBI की जांच रिपोर्टों को पूरी गंभीरता से लिया जाएगा।
- वित्तीय अनियमितता और सरकारी धन की हेराफेरी करने वालों को कड़ी सजा मिलेगी।
