
पटना/एनबीटी। बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र 2025 का अंतिम दिन सियासी तकरारों से सराबोर रहा। राजद ने शुरू से ही नीतीश सरकार पर सवालों की झड़ी लगा दी—कभी योजनाओं के बजट पर, तो कभी नीयत पर। लेकिन सत्र के समापन से ठीक पहले नीतीश सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने महज दो वाक्यों में पूरा माहौल ही बदल दिया। उनकी प्रतिक्रिया ने राजद की तीखी आलोचनाओं का ऐसा जवाब दिया कि सदन में सन्नाटा पसर गया।
आलोक मेहता ने उठाए थे बड़े सवाल
पूर्व मंत्री और राजद विधायक आलोक मेहता ने महिला रोजगार योजना समेत कई योजनाओं की स्थिरता पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि “सरकार योजनाएं घोषित तो करती है, लेकिन फंडिंग की व्यवस्था कहां है?” विपक्ष के अन्य सदस्यों ने भी इन्हीं मुद्दों को लेकर सरकार पर लगातार दबाव बनाए रखा।
पहले आंकड़ों से जवाब, फिर अनुभव का वार
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने आंकड़ों के साथ जवाब दिया, लेकिन विपक्ष की टोका-टोकी जारी रही। ऐसे में सदन को संभालने का दायित्व नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद और वरिष्ठ मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव को दिया गया।
उन्होंने शुरुआत आंकड़ों से की, लेकिन असली राजनीतिक धार तो उनकी दो लाइनों में ही थी—ऐसी धार जिसमें पूरा विपक्ष बौखला उठा।
“नीतीश का ज्ञान, ईमान और विज्ञान… इसलिए आज बिहार 3 लाख करोड़ के बजट पर खड़ा”
बिजेंद्र प्रसाद यादव ने राजद के शासनकाल की तुलना करते हुए कहा—
“जब बिहार का बंटवारा हुआ था तब यह कहा जाता था कि लालू, बालू और आलू ही बचा है… राज्य कैसे चलेगा?”
उन्होंने आगे कहा,
“आज बिहार का बजट 25-26 हजार करोड़ से बढ़कर 3 लाख करोड़ हुआ है। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ज्ञान, विज्ञान और ईमान का परिणाम है। आदमी में ईमान हो तो पैसे की कमी नहीं होती, पैसे का प्रबंध किया जाता है… जनता से पैसे लेकर जनता पर ही खर्च होता है, चारा या बालू घोटाले पर नहीं।”
यह सुनते ही राजद सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई, लेकिन यहीं पर आई मंत्री की दूसरी लाइन—वह लाइन जिसने विपक्ष को शांत कर दिया।
“और मत बोलिए… वरना और पोल खोल दूंगा!”
बिजेंद्र यादव ने विपक्ष की ओर देखते हुए कहा—
“और मत बोलिए, नहीं तो मैं और पोल खोल दूंगा। ईमान का संकट नीतीश कुमार में नहीं है, इसलिए बिहार में पैसे की कमी नहीं होगी।”
इस एक वाक्य ने सदन में हलचल मचा दी। विपक्ष शांत हो गया और सत्र का अंतिम दिन नीतीश सरकार के अनुभव और आत्मविश्वास के साथ समाप्त हुआ।