
वॉशिंगटन: खगोल वैज्ञानिकों और आकाश प्रेमियों के लिए 2 अगस्त 2027 का दिन बेहद खास होगा। इस दिन सदी का सबसे लंबा पूर्ण सूर्यग्रहण देखने को मिलेगा। इस दौरान 6 मिनट 23 सेकंड तक सूर्यग्रहण चलेगा और आकाश में शाम जैसी अंधेरी छाया छा जाएगी।
सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी की एक रेखा में आ जाते हैं। पूर्ण सूर्यग्रहण में चंद्रमा सूर्य के पूरे भाग को ढक देता है, जिससे पृथ्वी पर अंब्रा (छाया का क्षेत्र) पड़ता है। हालांकि, इस छाया की चौड़ाई केवल कुछ दर्जन से सौ किलोमीटर होती है, जिसे पाथ ऑफ टोटैलिटी कहते हैं। इसका मतलब यह है कि पूर्ण सूर्यग्रहण का अंधेरा केवल इस पतली पट्टी पर रहने वाले लोग ही देख पाएंगे। इसलिए पूरी दुनिया में अंधेरा नहीं होगा।
2027 का सूर्यग्रहण क्यों खास है?
यह ग्रहण इसलिए लंबा और खास माना जा रहा है क्योंकि उस समय सूर्य पृथ्वी से अपनी अधिकतम दूरी पर होगा, जबकि चंद्रमा सबसे करीब होगा। इस संयोजन से ग्रहण बड़ा दिखेगा और लंबे समय तक छाया बनी रहेगी। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस अवधि का इतना लंबा पूर्ण सूर्यग्रहण 2114 तक नहीं देखा जा सकेगा।
ग्रहण की दृश्यता:
BBC की रिपोर्ट के अनुसार, यह ग्रहण पूर्वी अटलांटिक से शुरू होकर उत्तरी अफ्रीका, मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, लीबिया, मिस्र और मिडिल ईस्ट के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। मिस्र के लक्सर और असवान में सबसे लंबे समय तक ग्रहण रहेगा। इसके अलावा, ज्यादातर यूरोप, पश्चिमी एशिया और पूर्वी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में आंशिक सूर्यग्रहण दिखाई देगा।
भारत में ग्रहण:
भारत और दुनिया के बाकी हिस्सों में इस सूर्यग्रहण का कोई प्रभाव नहीं दिखाई देगा। ग्रहण के दौरान तापमान कम हो सकता है और सूर्य का कोरोना डिस्क के चारों ओर चमकता नजर आएगा।
सूर्यग्रहण की इस दुर्लभ घटना को देखने के लिए खगोल विज्ञान प्रेमियों में पहले से ही उत्साह है।