Monday, December 1

Success Story: ₹2 लाख की छोटी शुरुआत से ₹2.2 करोड़ की कमाई शरत श्यामसुंदर बने स्टार्टअप दुनिया के ‘कंप्लायंस हीरो’

भारत में स्टार्टअप शुरू करने का उत्साह अक्सर रजिस्ट्रेशन, टैक्स फाइलिंग और कानूनी औपचारिकताओं की भारी-भरकम दीवारों से टकराकर टूट जाता है। लेकिन बेंगलुरु के युवा उद्यमी शरत श्यामसुंदर ने इन्हीं दीवारों को मौका बनाकर ₹2.2 करोड़ के सफल बिजनेस की नींव रखी।
2015 में शुरू हुई उनकी कंपनी ‘द स्टार्टअप ज़ोन’ आज हजारों नए उद्यमियों के लिए भरोसे का नाम है।

पहली विफलता से सीखा—दूसरा बिजनेस बना मिसाल

2011 में शरत का पहला उद्यम द इनविटेशन स्टोर चल नहीं पाया।
इस दौरान उन्हें गलत सलाह के चलते बेवजह सर्विस टैक्स रजिस्ट्रेशन कराना पड़ा—
समय भी गया, पैसा भी।

यहीं से उन्हें समझ आया कि कानूनी जानकारी की कमी छोटे व्यवसायों के लिए सबसे बड़ी बाधा है
पहली कंपनी बंद करने के बाद उन्होंने Lawyer Search और PayU जैसी कंपनियों में काम करके
कानूनी फाइलिंग और डिजिटल ऑटोमेशन की गहरी समझ हासिल की।

2015 के अंत में उन्होंने तय किया कि वह इस जटिल सिस्टम को सरल बनाएंगे—
और इसी सोच से ‘द स्टार्टअप ज़ोन’ की शुरुआत हुई।

घरेलू सेटअप, ₹2–3 लाख में शुरुआत

शरत ने घर से ही 3–4 लोगों की टीम बनाकर काम शुरू किया।
₹2–3 लाख की शुरुआती पूंजी में—

  • एक बेसिक वेबसाइट
  • कुछ सेकेंड-हैंड लैपटॉप
  • और VAT व सर्विस टैक्स रजिस्ट्रेशन जैसी शुरुआती सेवाएँ

यही उनका पहला कदम था।
धीरे-धीरे उन्होंने कंपनी इन्कॉरपोरेशन, अकाउंटिंग, IP और फंडिंग असिस्टेंस जैसी नई सेवाएँ जोड़ दीं।
2021 तक यह प्लेटफॉर्म स्टार्टअप्स के लिए वन-स्टॉप कंप्लायंस पार्टनर बन चुका था।

जीएसटी बना टर्निंग पॉइंट—पहले ही दिन 100 से अधिक कॉल

2017 में जीएसटी लागू हुआ—और यह शरत के बिजनेस के लिए वरदान साबित हुआ।
जीएसटी पोर्टल लाइव होने से पहले ही उनकी टीम ने विज्ञापन शुरू कर दिए थे।
नतीजा—पहले ही दिन 100+ कॉल आए।

कंपनी का राजस्व:

  • पहले साल: ₹5 लाख
  • जीएसटी के बाद: ₹45 लाख
  • 2022 में: ₹1 करोड़
  • FY 2024–25 में: ₹2.2 करोड़

और खास बात—बिना किसी बाहरी फंडिंग के यह विकास हासिल किया गया।

कोरोना लॉकडाउन में भी कंपनी ने न वेतन घटाया, न किसी को नौकरी से निकाला।

अब तक 5,000+ स्टार्टअप्स की मदद—और आगे बढ़ने की तैयारी

‘द स्टार्टअप ज़ोन’ अब तक 5,000 से अधिक उद्यमियों की कानूनी और टैक्स संबंधी जरूरतों का समाधान कर चुका है।
शरत इसका श्रेय वर्ड-ऑफ-माउथ और ग्राहकों के भरोसे को देते हैं।

कंपनी की नई पहल ‘बिजनेस बियॉन्ड बाउंड्रीज (BBB)’ भारत आने वाले विदेशी उद्यमियों को सेटअप में मदद करेगी।
वे को-वर्किंग स्पेस, HR फर्म और प्रमुख बैंकों के साथ साझेदारी कर चुके हैं।

साथ ही, टीम कंप्लायंस को—

  • तेज़,
  • अधिक सटीक,
  • और सुरक्षित बनाने के लिए
    AI व ऑटोमेशन में निवेश कर रही है।

शरत का सपना—उद्यमी बिजनेस पर ध्यान दें, कागज़ी काम हम संभालें

शरत श्यामसुंदर का लक्ष्य साफ है:
“उद्यमियों को कागज़ी लड़ाई से मुक्त करके उन्हें उनके असली जुनून—व्यवसाय बढ़ाने—पर ध्यान केंद्रित करने देना।”

₹2 लाख की मामूली पूंजी से शुरू हुआ यह सफर आज लाखों भारतीय उद्यमियों के लिए प्रेरणा बन चुका है।

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