
नई दिल्ली: दो दशक से दुनिया की ग्रोथ का इंजन बने चीन की अर्थव्यवस्था अब कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है। दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी बनने की चाह रखने वाले चीन की जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय अमेरिका के मुकाबले अभी काफी पीछे है। जहां अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय $89,600 है, वहीं चीन में यह $13,810 है।
निवेश में गिरावट:
साल 2025 के पहले 10 महीनों में चीन में फिक्स्ड एसेट इनवेस्टमेंट पिछले साल की तुलना में 1.7 प्रतिशत घट गया। केवल अक्टूबर में ही निवेश में 12 प्रतिशत की गिरावट आई, जो लगातार पांचवां महीना है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका प्रॉपर्टी निवेश की है, जो इस अवधि में 14.7 प्रतिशत घट गया।
इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च में मात्र 0.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि सरकार ने इसके लिए स्टीम्युलस दिया था। ये संकेत हैं कि चीन में विकास की गति धीरे-धीरे खत्म हो रही है।
रियल एस्टेट संकट:
चीन की अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी समस्या रियल एस्टेट संकट है। चार साल पहले शुरू हुआ यह संकट अब तक हल नहीं हुआ है। रियल एस्टेट चीन की जीडीपी में लगभग एक तिहाई योगदान देता है। इसका संकट पूरी अर्थव्यवस्था को डुबोने का खतरा पैदा कर रहा है।
भारत के लिए अवसर:
चीन में इस गिरावट से भारत को बड़ा लाभ मिल सकता है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, और वैश्विक कंपनियां और निवेशक भारत में निवेश बढ़ा रहे हैं। कोरोना काल के बाद बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां चीन पर निर्भरता कम कर रही हैं। आईफोन बनाने वाली कंपनी एप्पल समेत कई कंपनियां भारत में निवेश बढ़ा रही हैं, जिससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि होने की संभावना है।