Friday, November 14

दिल्ली ब्लास्ट और टेलीग्राम का सीक्रेट चैट फीचर: कैसे आतंकियों का नया ठिकाना बन रहे एन्क्रिप्टेड ऐप्स?

नई दिल्ली। लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट ने एक बार फिर सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। जांच में यह सामने आया है कि हमले की प्लानिंग आतंकियों ने टेलीग्राम के सीक्रेट चैट फीचर के जरिए की थी। यह वही फीचर है जो पूरी तरह निजी बातचीत की सुविधा देता है और जिसे ट्रेस करना बेहद मुश्किल होता है।

क्या है टेलीग्राम का सीक्रेट चैट फीचर?

टेलीग्राम का सीक्रेट चैट फीचर दो लोगों के बीच होने वाली चैट के लिए बनाया गया है। इसमें होने वाली हर बातचीत एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होती है, यानी ये संदेश सिर्फ भेजने वाले और पाने वाले के फोन में ही मौजूद रहते हैं।

  • चैट को फॉरवर्ड नहीं किया जा सकता
  • स्क्रीनशॉट लेने पर नोटिफिकेशन मिल जाता है
  • चैट ऑटो-डिलीट हो जाती है
  • यह फीचर सिर्फ दो डिवाइस के बीच काम करता है, ग्रुप चैट संभव नहीं
  • चैट किसी सर्वर पर सेव नहीं होती

इसी वजह से ये आतंकियों के लिए भी एक “सेफ प्लानिंग ज़ोन” बन गया है।

क्यों मुश्किल है इन चैट्स तक पहुंचना?

टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे ऐप्स मुफ्त और आसानी से उपलब्ध हैं। इनका गलत इस्तेमाल भी बड़ी तेजी से बढ़ रहा है।

  • कई ऐप्स के सर्वर भारत में नहीं
  • कंपनियां निजता के नाम पर जानकारी देने में हिचकती हैं
  • आतंकियों द्वारा VPN और फर्जी नंबर का इस्तेमाल
  • पुलिस सिर्फ मेटाडेटा तक ही सीमित

इससे जांच एजेंसियों के लिए योजना और नेटवर्क को ट्रेस करना बेहद कठिन हो जाता है।

एनक्रिप्शन क्या है?

एनक्रिप्शन का मतलब है—मैसेज को गुप्त कोड में बदल देना, जिसे केवल भेजने वाला और प्राप्त करने वाला ही पढ़ सकता है।
यह आम नागरिकों की निजता के लिए तो अच्छा है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है।

क्या कहती हैं कंपनियां?

टेलीग्राम ने बताया कि वह भारत के 2021 आईटी नियमों का पालन करता है और वैध मांग पर जांच एजेंसियों को सहयोग देता है।
वहीं WhatsApp ने भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में वह कानून के अनुसार मदद करता है।

कानूनी विशेषज्ञों की राय

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, डीपीडीपी एक्ट की धारा 17 के तहत सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में एन्क्रिप्टेड मैसेज तक पहुंच सकती है।
सार्वजनिक ग्रुप चैट पर निगरानी करना आसान है, लेकिन निजी चैट पर नजर रखना बेहद कठिन।

क्या AI मदद कर सकता है?

टेक जानकारों का कहना है कि भले ही मैसेज पढ़ना संभव न हो, लेकिन AI संदिग्ध गतिविधियों को पहचान सकता है, जैसे—

  • बार-बार लॉगिन
  • अजीब समय पर गतिविधि
  • अचानक नए कॉन्टैक्ट जुड़ना

AI ऐसे पैटर्न देखकर सुरक्षा एजेंसियों को पहले से अलर्ट दे सकता है, हालांकि इस तकनीक पर अभी काफी काम बाकी है।

निष्कर्ष

एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स लोगों की निजता की सुरक्षा के लिए बनाए गए थे, लेकिन इनका इस्तेमाल आतंकी नेटवर्क भी कर रहे हैं। तकनीक जहां सुविधा देती है, वहीं खतरे भी बढ़ाती है।
भविष्य में AI और सख्त साइबर निगरानी ही ऐसे खतरों को रोकने की सबसे बड़ी उम्मीद है।

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