
मोस्को/नई दिल्ली: यूक्रेन युद्ध के लंबे संकट के बीच रूस ने भारतीय कामगारों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। रूस में लेबर रिसोर्स की कमी को पूरा करने के लिए भारत से लगभग 72,000 प्रवासियों को आने की योजना बनाई गई है। यह कदम भारतीयों के लिए रूस में रोजगार के बड़े अवसर पैदा करेगा।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस महीने की शुरुआत में भारत दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच कामगारों के प्रवास पर सहमति बनी थी। इसके तहत रूस ने आधिकारिक तौर पर विदेशी कामगारों का कोटा 235,000 रखा है, जिसमें भारत को 71,817 पदों के लिए विशेष अनुमति दी गई है।
रूस में कामगारों की संख्या में पिछले तीन वर्षों में तेज़ी देखी गई है। वर्ष 2022 में 8,000 भारतीयों को परमिट मिला, जो 2023 में बढ़कर 14,000 और 2024 में 36,000 हो गया। पुतिन के विशेष प्रतिनिधि बोरिस टिटोव के अनुसार, अगले वर्ष कम से कम 42,000 भारतीय राजधानी मॉस्को और अन्य बड़े शहरों में काम करेंगे।
बोरिस टिटोव ने कहा, “भारतीय प्रतिभाशाली और मेहनती हैं। दुबई जैसे शहर को मुख्य रूप से भारतीय मजदूरों और डेवलपर्स ने विकसित किया है। भारत रूस की लेबर रिसोर्स की कमी पूरी करने में मदद करेगा।”
हालांकि, कुछ रिपोर्टों में यह भी चिंता जताई जा रही है कि रूस भारतीय लेबर एग्रीमेंट का उपयोग यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में युवाओं को भेजने के लिए कर सकता है। इस मुद्दे पर भारतीय अधिकारियों ने फिलहाल स्पष्ट बयान नहीं दिया है।
रूस में रोजगार के इस नए अवसर से भारतीय युवाओं के लिए न केवल आर्थिक, बल्कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव हासिल करने का रास्ता भी खुल रहा है।