
केंद्र की ओर से लाए गए ‘विकसित भारत-जी राम जी’ बिल को संसद ने पारित कर दिया। यह बिल मनरेगा योजना का नया स्वरूप लेकर आया है और इसमें कई सुधार किए गए हैं। हालांकि, इसके नामकरण को लेकर विपक्षी सांसदों ने संसद की सीढ़ियों पर 12 घंटे तक धरना दिया, लेकिन केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने विपक्ष को सख्त संदेश दिया।
चिराग पासवान का विरोध पर कड़ा रुख
चिराग पासवान ने विपक्ष से सवाल किया, “आखिर आपको किस नाम से ऐतराज है? राम के नाम से, जो बापू महात्मा गांधी का सबसे प्रिय नाम था। उनके अंतिम शब्द भी ‘हे राम’ थे। क्या राम के नाम पर ऐतराज करना गांधी के आदर्शों के अनुरूप है?”
उन्होंने कहा कि विपक्षी सांसद शांति और आदर्शों की बजाय सिर्फ राजनीति कर रहे हैं, जबकि धरना और प्रदर्शन करने का पूरा मौका उन्हें दिया गया है। चिराग ने यह भी कहा कि बापू के आदर्शों में शांति और सम्मान का पालन करना आवश्यक था, ना कि मंत्री पर कागज फेंकना।
नाम बदलने का मकसद
चिराग पासवान ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ नाम बदलने की बात नहीं है। यह एक नई योजना और मौजूदा योजनाओं के विस्तार की दिशा में कदम है। समय-समय पर योजनाओं का नाम बदलना और उनमें सुधार करना नई सोच और बेहतर कार्यान्वयन के लिए जरूरी है।
अन्य नेताओं ने क्यों बताया जरूरी
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि देशभर में मनरेगा के हालात और कमियों को देखते हुए सुधार की जरूरत थी। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में रोजगार गारंटी को 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन किया गया और स्कीम में टेक्नोलॉजी शामिल करके प्रभावशीलता बढ़ाई गई।
बीजेपी सांसद दर्शन सिंह चौधरी ने कहा कि नया बिल भ्रष्टाचार को कम करने, राज्य अधिकारियों की जवाबदेही तय करने और सिस्टम में पारदर्शिता लाने में मदद करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश लगातार प्रगति कर रहा है और यह बिल इसी दिशा में बड़ा कदम है।